फोर्टिफाइड चावल निर्यात के क्षेत्र में भारत ने नई उपलब्धि हासिल की है। छत्तीसगढ़ से पहली बार 12 मीट्रिक टन फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) की खेप कोस्टा रिका के लिए रवाना की गई। यह भारत के “कुपोषण मुक्त भारत” अभियान को वैश्विक स्तर से जोड़ने वाला ऐतिहासिक कदम है।
फोर्टिफाइड चावल का महत्व
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बताया कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पोषण सशक्त भारत योजना का हिस्सा है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) देशभर में फोर्टिफाइड चावल निर्यात और वितरण कार्यक्रम चला रहा है। अब इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचना भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
एपीडा और उद्योग जगत की भूमिका
एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल निर्यात भारत की कृषि क्षमता और कुपोषण से लड़ने की दिशा में मजबूत कदम है। उन्होंने भरोसा जताया कि एपीडा भविष्य में निर्यातकों को नए बाजारों में पहुंच बढ़ाने में मदद करता रहेगा।
छत्तीसगढ़ राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश जैन ने कहा कि आने वाले समय में अन्य देशों को भी एफआरके का निर्यात किया जाएगा। उन्होंने एपीडा के सहयोग और समर्थन के लिए आभार जताया।
क्या है फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके)?
एफआरके चावल के आटे में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्व मिलाकर तैयार किया जाता है। इसे सामान्य चावल में मिलाकर उसकी पौष्टिकता बढ़ाई जाती है, जिससे कुपोषण से निपटने में मदद मिलती है।
भारत का यह कदम न केवल व्यापारिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह देश की फोर्टिफाइड चावल निर्यात क्षमता को विश्व बाजार में स्थापित करने की दिशा में भी बड़ा कदम है।


                                    

