शिमला, 17 जून (हि.स.)।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राज्य के खिलाड़ियों को बड़ी राहत देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा की है। अब राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को स्कूलों में ‘अनुपस्थित’ नहीं, बल्कि ‘विशेष अवकाश’ का दर्जा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को यह घोषणा करते हुए कहा कि खेल और शिक्षा को परस्पर पूरक मानते हुए यह निर्णय लिया गया है, जिससे छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह व्यवस्था स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI) की तर्ज पर लागू की जाएगी।
खेल प्रमाण-पत्र होंगे मान्य
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि मान्यता प्राप्त खेल निकायों द्वारा जारी प्रमाण-पत्रों को अब वैध माना जाएगा, और स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि वे ऐसे विद्यार्थियों को ‘विशेष अवकाश’ की श्रेणी में दर्ज करें। इससे खेलों में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को शैक्षणिक दंड से राहत मिलेगी।
14.77 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि वितरित
राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को ₹14.77 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया है।
- ऊना के निषाद कुमार को सर्वाधिक ₹7.80 करोड़
- मंडी के अजय कुमार को ₹2.50 करोड़
- हमीरपुर के विकास ठाकुर को ₹2 करोड़ की पुरस्कार राशि दी गई।
इसके अतिरिक्त कबड्डी, क्रिकेट और अन्य खेलों के खिलाड़ियों को भी लाखों रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई।
डाइट और यात्रा व्यय की भी व्यवस्था
सरकार ने खिलाड़ियों को बेहतर आहार (डाइट) और यात्रा सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में भी कदम उठाया है:
- 421 खिलाड़ियों को कुल ₹76.98 लाख डाइट मनी
- 235 खिलाड़ियों को ₹6.01 लाख यात्रा व्यय प्रदान किया गया।
अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का निर्माण जारी
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि हमीरपुर के नादौन में अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल स्टेडियम तैयार किया जा रहा है, ताकि प्रदेश के खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय अधोसंरचना उपलब्ध कराई जा सके।
गांव-गांव से खेल प्रतिभा को मंच देने का संकल्प
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों से खेल प्रतिभाओं को खोजकर उन्हें उचित मंच देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह निर्णय हिमाचल प्रदेश के युवाओं को खेल के क्षेत्र में नई उड़ान देने वाला साबित होगा।
यह कदम राज्य में खेलों को प्राथमिकता देने की नीति का परिचायक है और हिमाचल को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अधिक मजबूती से स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।