मुख्यमंत्री ने कामरूपी लोकगीतों के सम्राट रामेश्वर पाठक को दी श्रद्धांजलि
गुवाहाटी, 03 दिसंबर। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को कामरूपी लोकगीतों के महान गायक और लोकसंस्कृति के प्रतिष्ठित स्तंभ रामेश्वर पाठक की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रामेश्वर पाठक असम की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा थे, जिन्होंने लोकसंगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
असम की सांस्कृतिक धरोहर के वाहक
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि पाठक की सुरीली आवाज़ में गाए गए प्रत्येक कामरूपी लोकगीत असम की सांस्कृतिक विरासत का अनमोल खजाना हैं। उनकी कला न केवल संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध करती रही, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
अविस्मरणीय योगदान को याद किया
डॉ. सरमा ने कहा कि रामेश्वर पाठक का असम की लोकसंस्कृति को समृद्ध करने में योगदान अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा गाए गए गीत असम की परंपराओं, भावनाओं और लोकजीवन का जीवंत प्रतिबिंब हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि पाठक का नाम सदैव सम्मान से लिया जाएगा।
भक्ति, लोक और सांस्कृतिक संवेदनाओं के कलाकार
रामेश्वर पाठक अपने मधुर स्वर, भावपूर्ण गायन और लोकगीतों की गहरी समझ के लिए पहचाने जाते थे। उनकी गायकी में असम के ग्रामीण जीवन, लोकआस्था और सांस्कृतिक जड़ों की सशक्त झलक दिखाई देती थी। इसी वजह से उन्हें “कामरूपी लोकगीतों का सम्राट” कहा जाता है।
राज्य सरकार की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री ने इस महान कलाकार की पुण्यतिथि को “सांस्कृतिक स्मरण का महत्वपूर्ण अवसर” बताते हुए कहा कि असम सरकार उनकी विरासत को सुरक्षित रखने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पाठक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की।




