कोडीन कफ सिरप की काली कमाई से टेरर फंडिंग का शक, ईडी की जांच में बड़े खुलासे
वाराणसी। कोडीन कफ सिरप की अवैध तस्करी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हालिया छापेमारी के बाद जांच ने गंभीर मोड़ ले लिया है। ईडी अधिकारियों को ऐसे चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं, जिनसे कोडीन कफ सिरप की काली कमाई का इस्तेमाल टेरर फंडिंग में होने की आशंका जताई जा रही है। यह मामला उत्तर प्रदेश के वाराणसी समेत देश के कई राज्यों तक फैला हुआ है।
दुबई हवाला सिंडिकेट से जुड़े तार
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार प्रारंभिक जांच में यह पूरा नेटवर्क दुबई स्थित हवाला सिंडिकेट से जुड़ा हुआ नजर आ रहा है। कई हवाला ऑपरेटर ईडी के रडार पर हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि बांग्लादेश के कुछ इस्लामिक संगठनों की खाड़ी देशों में कोडीन सिरप की बिक्री में भूमिका हो सकती है, जिससे आतंकी संगठनों को फंडिंग मिलने की संभावना है।
मेरठ के आसिफ और वसीम की भूमिका संदिग्ध
ईडी ने मेरठ के आसिफ और वसीम की इस सिंडिकेट में संलिप्तता की जांच की है। जानकारी के अनुसार आसिफ लंबे समय से बांग्लादेश के रास्ते खाड़ी देशों में कोडीन कफ सिरप की तस्करी कर रहा था। इस अवैध कमाई से उसने दुबई में कई संपत्तियां भी खरीदी हैं।
ईडी को शक है कि फरार आरोपियों, जिनमें शुभम जायसवाल भी शामिल है, के दुबई भागने में आसिफ की अहम भूमिका रही है।
140 फर्मों में से शुभम की दो फर्में
जांच में सामने आया है कि शुभम जायसवाल, जो रांची की शैली ट्रेडर्स और वाराणसी की न्यू वृद्धि फार्मा का प्रोपराइटर है, उसने पिछले दो वित्तीय वर्षों में करीब 7 करोड़ रुपये का आयकर जमा किया है। जीएसटी का भुगतान अलग से किया गया है।
ईडी ने इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है। वहीं वाराणसी के चार्टर्ड अकाउंटेंट विष्णु अग्रवाल ने कुल 140 फर्मों का ऑडिट किया, जिनमें से केवल दो फर्म शुभम जायसवाल की हैं।
दुबई होटल से सामने आए दो वीडियो
कोडीन कफ सिरप मामले में फरार शुभम जायसवाल के दुबई के होटल से दो वीडियो सामने आए हैं।
- पहले वीडियो में शुभम खुद को निर्दोष बता रहा है।
- दूसरे वीडियो में वह ईडी की छापेमारी के दौरान होटल में टहलते हुए फोन पर बातचीत करता नजर आ रहा है।
ईडी अब इन वीडियो, बैंकिंग लेनदेन और हवाला नेटवर्क को जोड़कर पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। एजेंसी का फोकस इस बात पर है कि क्या वास्तव में इस अवैध कारोबार की रकम आतंकी गतिविधियों की फंडिंग में इस्तेमाल हो रही थी।




