बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में पार्टी ने देशभर से 58 वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है, जिनमें राजस्थान के तीन नाम खास तौर पर शामिल हैं।
🌟 राजस्थान से कौन-कौन हैं पर्यवेक्षक?
अशोक चांदना
- हिंडोली (बूंदी) से तीसरी बार विधायक
- पूर्व युवा एवं खेल मंत्री
- संगठन में अच्छी पकड़ और चुनावी अनुभव
मनीष यादव
- जयपुर जिले के शाहपुरा से पहली बार विधायक
- युवा चेहरा, तेजतर्रार वक्ता
- सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय
सीताराम लांबा
- राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के महासचिव
- संगठन के भीतर युवा नेतृत्व को दिशा देने में माहिर
- राष्ट्रीय राजनीति में तेज़ी से उभरते हुए नेता
📄 पर्यवेक्षकों की भूमिका क्या होगी?
- बिहार चुनाव की तैयारियों की निगरानी
- स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय
- बूथ लेवल मैनेजमेंट और चुनावी रणनीति को लागू करना
- हाईकमान को ज़मीनी रिपोर्ट देना
📅 कब होंगे बिहार चुनाव?
बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर 2025 में समाप्त हो रहा है। ऐसे में चुनाव की अधिसूचना सितंबर-अक्टूबर 2025 के बीच जारी होने की संभावना है। कांग्रेस ने अभी से मिशन मोड में तैयारी शुरू कर दी है।
🔍 क्यों है कांग्रेस के लिए बिहार अहम?
- 2024 लोकसभा में गठबंधन के बावजूद प्रदर्शन कमजोर रहा
- नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने से मतदाता भ्रमित
- कांग्रेस की कोशिश है कि वह स्थायी और सशक्त विपक्ष के रूप में उभरे
- ‘इंडिया गठबंधन’ के भीतर सीटों की अच्छी हिस्सेदारी भी कांग्रेस का लक्ष्य है
Q1: क्या अशोक चांदना पहले भी चुनाव पर्यवेक्षक रहे हैं?
हां, उन्हें 2019 में हरियाणा और 2022 में यूपी चुनाव के लिए भी जिम्मेदारी मिल चुकी है।
Q2: क्या मनीष यादव पहली बार राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुए हैं?
जी हां, यह उनकी पहली राष्ट्रीय नियुक्ति है।
Q3: पर्यवेक्षक किसे रिपोर्ट करेंगे?
ये पर्यवेक्षक सीधे कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी के नेतृत्व वाले चुनाव प्रकोष्ठ को रिपोर्ट करेंगे।
🔚 निष्कर्ष
कांग्रेस ने राजस्थान के युवा और अनुभवी नेताओं को बिहार चुनाव में बड़ी भूमिका देकर स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाना चाहती है। अब देखना होगा कि ये पर्यवेक्षक कितनी प्रभावी रणनीति बनाते हैं।