देहरादून घंटाघर की सुई फिर चलने लगी
उत्तराखंड की राजधानी में देहरादून घंटाघर को शहर की धड़कन कहा जाता है। कई दिनों से इसकी घड़ी रुक रही थी। लोगों ने लगातार गलत समय दिखने की शिकायत की थी। इसलिए प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की।
चेन्नई से आए विशेषज्ञ
जिलाधिकारी ने फंड जारी किया और विशेषज्ञ टीम को बुलाया। चेन्नई की इंडियन क्लॉक्स कंपनी के इंजीनियर आए। उन्होंने देहरादून घंटाघर की मशीन, वायर और जीपीएस सिस्टम की जांच की। इसके बाद कई पार्ट बदलकर घड़ी को फिर चालू किया गया।
शहर के लिए फिर गौरव का पल
पुराने समय में देहरादून घंटाघर की पहचान घंटानाद के लिए होती थी। अब यह शहर का लैंडमार्क स्थल बन चुका है। यह छह मुख वाला भारत का सबसे बड़ा बिना घंटानाद वाला घंटाघर है। अब घड़ी फिर समय सही बताएगी और लोगों में भरोसा वापस बढ़ेगा।
इतिहास और पहचान
देहरादून घंटाघर का निर्माण अंग्रेजों के समय हुआ था। इसे 1953 में लाल बहादुर शास्त्री ने उद्घाटन किया था। यह राजपुर रोड के मुख्य जंक्शन पर स्थित है। चारों ओर बाज़ार, थिएटर और ऑफिस क्षेत्र फैला है।
लोगों को राहत
अब प्रशासन का दावा है कि तकनीकी समस्या पूरी तरह दूर हो गई है। देहरादून घंटाघर फिर से शहर को सही समय बताएगा। यह कदम शहर की पहचान और धड़कन को फिर जीवन देने जैसा है।




