दिल्ली ब्लास्ट केस: ‘डॉक्टर मॉड्यूल’ का काला सच उजागर
नई दिल्ली। लाल किले के पास कार ब्लास्ट के बाद जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, NIA को आतंक के उस ‘डॉक्टर मॉड्यूल’ के बारे में चौंकाने वाले सबूत मिले हैं, जिसने देशभर में बड़े धमाकों की साजिश रची थी। इस मॉड्यूल से जुड़े हर व्यक्ति का अतीत अलग था, लेकिन लक्ष्य एक-भारत में दहशत फैलाना।
उमर बिन खत्ताब उर्फ हलजुल्लाह – पाकिस्तानी ऑपरेटिव
भारत में धमाके करवाने का मुख्य मास्टरमाइंड। इसके संपर्क में मौलवी इरफान था, जो युवाओं को जैश से जोड़ता था।
मौलवी इरफान अहमद – रेडिकलाइज़ेशन की फैक्ट्री
जम्मू-कश्मीर के शोपियां की मस्जिद में मौलवी। पढ़े-लिखे युवाओं को आतंकी रास्ते पर धकेलने का काम। इसी ने डॉक्टरों को मॉड्यूल से जोड़ा।
डॉ. शाहीन – फंडिंग और महिलाएं जोड़ने की जिम्मेदारी
लखनऊ की रहने वाली और अल फलाह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर। लगभग 20 लाख रुपये की फंडिंग और गरीब महिलाओं को ‘जमात-उल-मुमीनात’ से जोड़ना इसकी भूमिका थी।
आमिर – लॉजिस्टिक मैनेजर
डॉ. उमर के सीधे संपर्क में। ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई i20 कार का इंतजाम इसी ने किया। NIA की पहली गिरफ्तारी।
डॉ. मुजम्मिल – मॉड्यूल का रिक्रूटर
मौलवी इरफान के निर्देश पर डॉक्टरों को मॉड्यूल से जोड़ने का जिम्मेदार। अल फलाह यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को टारगेट करता था और विस्फोटक ट्रांसपोर्टेशन इसकी भूमिका थी।
डॉ. आदिल – हथियार सप्लाई करने वाला
सहारनपुर से गिरफ्तार। इसकी गिरफ्तारी के बाद 2900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ। हथियार और विस्फोटक जुटाने की जिम्मेदारी इसी की थी।
डॉ. उमर नबी – मॉड्यूल का ‘सुसाइड बॉम्बर’
केमिकल में एक्सपर्ट। अमोनिया नाइट्रेट से बम बनाना सीखा था। लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट को इसी ने अंजाम दिया।
जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश – मॉड्यूल का टेक्निकल ब्रेन
ड्रोन में विस्फोटक लगाकर रिमोट ब्लास्ट की अगली जिम्मेदारी इसी के पास थी। आगे इसे रॉकेट बनाने का काम सौंपा गया था। NIA ने कश्मीर से पकड़ा।




