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कोरबा के पर्यटन स्थल : दूर से देखने पर और दर्शनीय हुआ देवपहरी, मनमोह लेती है जलप्रपात की बहती धारा

कोरबा, 09 जनवरी (हि.स.)। शहर से लगभग 60 ये 65 किलोमीटर दूर कोरबा ब्लॉक में मौजूद देवपहरी जल प्रपात का शानदान नजारा पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। यहां के दर्शनीय नजारे को एक बार निहारने के बाद पर्यटकों के दिल और दिमाग में यहां का दृश्य इस तरह बस जाता है कि वे अगली बार मौका मिलते ही दोबारा भी इस खूबसूरत दृश्य को निहारने जरूर पहुंचते हैं। वे कभी अपने दोस्तों के साथ कभी परिवार के सदस्यों के साथ यहां आते हैं और दूध सी बहुत ही तेज गति में बहती जलधारा को देखते हैं और जलधारा की आवाज को महसूस करते हैं। आसपास का खुला वातावरण, दूर-दूर तक विशालयकाय चमकते चट्टानों के एक स्थान पर स्थिर टुकड़े और रेत पर बहुत ही स्वच्छ पानी के बीच शांति और सुकून का अहसास देवपहरी जलप्रपात जैसे स्थान को और भी पहचान दिलाती है।

कोरबा जिले में पर्यटकों के लिए कौतुहल का भाव उत्पन्न करने वाला देवपहरी पर्यटन स्थल लेमरू वनांचल क्षेत्र में मौजूद है। बहुत पहले यहां तक आने के लिए अच्छी सड़के नहीं होने के बावजूद भी देवपहरी की पहचान उभर कर सामने आई। अब जबकि पक्की सड़क है तो यहां अक्सर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। ठण्ड के मौसम में देवपहरी पर्यटकों का सबसे पसंदीदा जगह है। शहर से लगभग 60-65 किलोमीटर दूर होने के बावजूद लोग यहां के मनोरम दृश्य को देखने पहुंचते हैं। खास बात यह भी है कि देवपहरी तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को घने जंगलों से गुजरते हुए जाना पड़ता है। इस दौरान घुमावदार रास्ते, रास्तों में दिखाई देने वाले पहाड़, वनांचलो में रहने वाले जनजातीय परिवारों का रहन-सहन, उनके घर, छोटे-छोटे नदी नाले भी देखने को मिलते हैं, जिससे देवपहरी तक का सफर पर्यटकों के लिए रोमांच के साथ और भी कौतुहल बन जाता है।

प्राकृतिक सुंदरता के प्रेमियों को देवपहरी जल प्रपात बहुत भाता है। वे इस नैसर्गिक वातावरण को देखकर इस नजारे को अपने कैमरे में कैद किये बिना नहीं मानते। उदयपुर से देवपहरी घूमने आये मनोहर सिंह और उने साथी जय प्रकाश, गुरूवर, संदीप मिंज का कहना है कि उन्होंने देवपहरी का बहुत नाम सुना था। बहुत पहले इस स्थान को देखने का मन बना चुके थे, लेकिन मौका ही नहीं मिल पा रहा था। रात में निर्णय फाइनल होने के बाद आज सुबह से ही वे घर से देवपहरी के लिए निकल गए। यहां तक आते-आते कोई थकावट ही महसूस नहीं हुई, क्योंकि रास्ते भर वे जंगलों सहित आसपास के पहाड़ और सुंदर नजारे को देखते आएं। देवपहरी आने पर यहां का शानदार नजारा देखते ही थोड़ी बहुत थकावट थी वह भी गुम हो गई। रजगामार के कन्हैया का कहना है कि वह कई बार देवपहरी आ चुका है। उन्हें यह स्थान बहुत पंसद आता है। परिवार के साथ घूमने के लिए देवपहरी का सुंदर नजारा बहुत बढ़िया और खूबसूरत है।

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