कानपुर, 11 मार्च (हि.स.)। खुशियों और रंगों से भरा होली का त्यौहार देशभर में 14 मार्च को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। हंसी मजाक से भरे इस त्योहार में जरा सी चूक आप के लिए घातक साबित हो सकता है। दरअसल बाजारों में मिलने वाले केमिकल युक्त रंगों से कई तरह की एलर्जी हो सकती है, जो हमारी त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसको लेकर मंगलवार को मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. युगल राजपूत से बातचीत की गई और उन्होंने होली खेलने से पहले कुछ सावधानियां बरतने को कहा है।
होली एक ऐसा पर्व है, जिसे लेकर सभी को बड़े ही बेशब्री से इंतज़ार रहता है। फिर क्या बच्चे और बड़े सभी इस रंगों से भरे त्योहार में एक दूसरे को खूब रंग लगाते हैं। चिकित्सकों की माने तो आज कल बाजारों हर्बल रंगों के साथ-साथ कई तरह के केमिकल युक्त रंग धड़ल्ले से बिक रहे हैं, जो बेहद भड़कीले रंग के होने की वजह से लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं लेकिन आकर्षक होने के बावजूद ये हमारी त्वचा के लिए उतने ही हानिकारक होते हैं।
मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजपूत ने कहा कि होली खेलने में कोई परहेज नहीं है, लेकिन उसके साथ-साथ सावधानी बरतनी भी आवश्यक है। इसलिए होली खेलने से पहले शरीर में मॉइस्चराइज़र (नारियल का तेल, सरसो का तेल, जैतून का तेल या फिर कोई कोल्ड क्रीम) लगा सकते हैं। जिससे कि होली खेलने के बाद शरीर पर लगे रंग को आसानी से छुड़ाया जा सके। अमूमन ऐसा भी देखा गया है कि लोग होली खेलने के बाद अपनी त्वचा को कई बार साबुन और डिटेरजेंट से धोकर रंग साफ करने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने पर त्वचा और भी ज्यादा सूख जाती है। साथ ही साबुन में मौजूद केमिकल से हमारी त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है। रंग छुड़ाने के लिए दही का प्रयोग लाया जा सकता है। साथ ही सांस की बीमारी से जूझ रहे मरीजो को रंगों से दूरी बनाकर रहने की आवश्यकता है क्योंकि आमतौर पर रंग उड़ता हुआ नाक के रास्ते शरीर मे प्रवेश करता है। जिससे रोगियों को सांस लेने में काफी दिक्कतें आने लगती है।