📍 सांबा, 13 जून (हि.स.) — जम्मू-कश्मीर के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और रामगढ़ के विधायक डॉ. देविंदर कुमार मान्याल ने आगामी बाबा चमलियाल मेला 2025 की तैयारियों का निरीक्षण किया। यह मेला 26 जून 2025 को आयोजित होना है और इसके लिए बाबा चमलियाल तीर्थस्थल पर व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं।
📌 मंदिर और मेला: सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक
- बाबा दलीप सिंह मन्हास, जिन्हें श्रद्धापूर्वक बाबा चमलियाल कहा जाता है, के नाम पर यह मेला हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित चमलियाल गांव में आयोजित होता है।
- यह स्थल धार्मिक एकता और अंतरधार्मिक सद्भाव का प्रतीक माना जाता है, जहां जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार से हजारों श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं।
- ‘चम’ का अर्थ होता है त्वचा, और श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां की ‘शक्कर’ और ‘शरबत’ त्वचा रोगों में चमत्कारी लाभकारी हैं।
🛣️ बुनियादी ढांचे का विकास भी जारी
- डॉ. मान्याल ने बताया कि रामलू से चक सलारिया तक बनी नाबार्ड द्वारा वित्तपोषित काली पट्टी (blacktopping) का उद्घाटन 8 जून 2025 को हुआ, जिसकी लागत ₹1.5 करोड़ है।
- उन्होंने यह भी बताया कि ₹2.56 करोड़ की लागत से बन रही सड़क स्वांखा मंदिर और बाबा चमलियाल मंदिर को जोड़कर आवागमन को सुगम बनाएगी।
- यह विकास कार्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय विरासत के संरक्षण के प्रयासों का हिस्सा है।
🙏 322 वर्षों की परंपरा का जीवंत प्रतीक
- 322 साल पुराना बाबा चमलियाल मेला श्रद्धा, परंपरा और राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता का द्योतक है।
- यह मेला न केवल धार्मिक आस्था को अभिव्यक्त करता है, बल्कि सीमा पर भाईचारे और मानवीय संबंधों का भी प्रतीक है।
🗣️ डॉ. मान्याल का संदेश:
“रामगढ़ क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आध्यात्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए हम निरंतर प्रतिबद्ध हैं। बाबा चमलियाल मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है जिसे और सशक्त बनाएंगे।”