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दवा और क्लीनिकल ट्रायल नियमों में संशोधन, लाइसेंस प्रक्रिया होगी और आसान

नई दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल

नई दिल्ली, 3 सितंबर (हि.स.)। दवा और क्लीनिकल रिसर्च क्षेत्र में कारोबार की सुगमता और नियामक अनुपालन को सरल बनाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय “न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019” में संशोधन करने जा रहा है। प्रस्तावित संशोधन 28 अगस्त 2025 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए गए हैं और इस पर जनता से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।

टेस्ट लाइसेंस प्रक्रिया और तेज

नए नियमों के तहत अब आवेदकों को (कुछ उच्च जोखिम वाली श्रेणी की दवाओं को छोड़कर) लाइसेंस के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। केवल केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सूचित करना पर्याप्त होगा। साथ ही, टेस्ट लाइसेंस आवेदन की वैधानिक प्रोसेसिंग अवधि 90 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दी गई है।

बीए/बीई स्टडी में राहत

संशोधन के बाद कुछ श्रेणियों की बायोअवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस (बीए/बीई) स्टडी के लिए मौजूदा लाइसेंस की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। ऐसे मामलों में केवल सूचना या दस्तावेज प्रस्तुत करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

नियामक सुधारों से मिलेगा लाभ

इन सुधारों से हितधारकों को बड़ी राहत मिलेगी। लाइसेंस आवेदनों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत कम होने की संभावना है। इससे शोध, परीक्षण और दवा विकास प्रक्रिया में देरी कम होगी और दवाओं की उपलब्धता तेजी से बढ़ेगी।

निगरानी होगी और प्रभावी

संशोधन से केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का अवसर मिलेगा। इससे नियामक निगरानी की दक्षता और पारदर्शिता में भी सुधार होगा।

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