कोलकाता, 12 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों (डीएम) और जिला निर्वाचन अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। आयोग ने कहा है कि निजी हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में मतदान केंद्र बनाए जाने पर किसी भी राजनीतिक दल की सलाह या आपत्ति को नज़रअंदाज़ किया जाए। आयोग ने स्पष्ट किया कि बूथ चयन एक प्रशासनिक और वैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है।
राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय पर आयोग ने जताई नाराज़गी
पिछले दिनों कुछ पार्टियों ने निजी फ्लैट कॉम्प्लेक्सों में मतदान केंद्र बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी, जबकि कुछ दल इसे बुजुर्ग और बीमार मतदाताओं के लिए सुविधाजनक बता रहे थे। इस पर आयोग ने कहा कि राजनीतिक मतभेदों के आधार पर बूथ चयन प्रभावित नहीं होना चाहिए।
गुरुवार रात मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय को भेजे पत्र में आयोग ने नाराज़गी जताई कि किसी भी जिले से निजी मल्टी-टावर हाउसिंग कॉम्प्लेक्स की सूची नहीं भेजी गई। आयोग ने इसे डीएम और डीईओ की वैधानिक जिम्मेदारी बताते हुए कड़ाई से पालन का निर्देश दिया।
16 दिसंबर के बाद राज्यभर में सर्वे अनिवार्य
आयोग ने निर्देश दिया है कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित होने के बाद यानी 16 दिसंबर के बाद सभी जिले तुरंत सर्वे शुरू करें। सर्वे में शामिल होंगे—
- ऊँची इमारतें
- मल्टी-टावर ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी
- आरडब्ल्यूए कॉलोनियां
- गेटेड कम्युनिटीज
- झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र, जहाँ कम से कम 250 घर या 500 मतदाता हों
डीएम को इन परिसरों में ग्राउंड फ्लोर पर उपलब्ध कमरों का विवरण भेजना होगा, ताकि वहां मतदान केंद्र बनाए जाने की संभावना पर निर्णय लिया जा सके।




