भोपाल, 30 जनवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है। जैविक एवं प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है। खेती की इस पद्धति को बढ़ावा देने के प्रयास चल रहे हैं। जैविक एवं प्राकृतिक खेती के लिए क्लस्टर स्थापित करके यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश जैविक खेती में अग्रणी रहे। केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप जैविक एवं प्राकृतिक खेती के क्षेत्रफल को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं।
जनसम्पर्क अधिकारी लक्ष्मण सिंह ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में रेशम उत्पादन एवं मधुमक्खी पालन का भी कार्य किया जा रहा है। कृषकों को जैविक खेती अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में जैविक खेती का क्षेत्रफल देश में सबसे अधिक है। मंडला, डिण्डोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, कटनी, उमरिया, अनूपपुर जिले में जैविक खेती प्रमुखता से की जा रही है। राज्य सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये सहकारिता विभाग को कृषि एवं उद्यानिकी के साथ सम्बद्ध किया है। प्रदेश में प्राकृतिक खेती बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड द्वारा प्राकृतिक खेती पर काम किया जा रहा है।
किसानों की समृद्धि के लिए उठाए जा रहे हैं ठोस कदम
उन्होंने बताया कि अगले पाँच वर्षों में कृषि निर्यात को दोगुना किया जायेगा। अगले पाँच वर्षों में राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी को और अधिक बढ़ाया जायेगा। उज्जैन में चना अनुसंधान संस्थान की स्थापना, दाल की प्रोसेसिंग एवं वेल्यू चेन को बढ़ावा दिया जायेगा, डिण्डोरी में श्रीअन्न अनुसंधान संस्थान की स्थापना, ग्वालियर में सरसों अनुसंधान संस्थान की स्थापना, प्रदेश में श्रीअन्न प्रमोशन एजेंसी के माध्यम से प्रचार-प्रचार, प्रदेश में 10 सोयाबीन विशिष्ट एफपीओ का गठन किया जा रहा है। मिशन दाल के अंतर्गत अगले 5 वर्षों में दाल का उत्पादन बढ़ाया जायेगा, प्रदेश में भारत सरकार द्वारा नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल संचालित की जा रही है।
किसानों की आय में वृद्धि के लिए निरंतर प्रयास जारी
जनसम्पर्क अधिकारी लक्ष्मण सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार किसानों को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में मिशन सोयाबीन शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत अगले पाँच वर्षों में सोयाबीन का उत्पादन और तेजी से बढ़ेगा। केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश में नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल संचालित की जा रही है। धान की देशी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत प्रदेश के कृषि विश्व विद्यालयों के माध्यम से धान की देशी फसलों का संरक्षण एवं उनसे नवीन किस्मों को विकसित किया जा रहा है। धान की जीरा शंकर, राजभोग, विष्णुभोग, चिन्नौर, कालीमूंछ जैसी किस्मों का संरक्षण और प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी तरह गेहूँ की देशी किस्म का संरक्षण एवं उनसे नवीन किस्मों को विकसित किया जा रहा है। शरबती गेहूँ जैसी किस्मों का संरक्षण एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरसों विशिष्ट एफपीओ स्थापित कर सहकारी तेल मिल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरसों के मुख्य उत्पादन वाले जिलों के प्रत्येक ब्लॉक में सरसों खरीद केन्द्र स्थापित किए गए हें। सरसों के उत्पादन को और अधिक बढ़ाया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर अरहर, मूंग, उड़द एवं मसूर जैसी सभी दालों की खरीदी की व्यवस्था को मजबूत बनाया गया है।
प्रदेश में बीजग्राम कार्यक्रम अंतर्गत 2 लाख 92 हजार 750 किसानों को 80 हजार 275 क्विंटल बीज वितरित किए गए हैं। स्वाइल हेल्थ कार्ड के द्वारा किसानों को उर्वरक और पोषक तत्वों की अनुशंसा के आधार पर उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक 9 लाख 73 हजार 250 किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड वितरित किए गए हैं।