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इमरान हाशमी ने पहली बार बेटे के कैंसर से जंग पर तोड़ी चुप्पी

बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय और सुपरहिट फिल्मों के जरिए इमरान हाशमी ने एक सुनहरा दौर रचा था, लेकिन हर चमकते सितारे की तरह उन्हें भी जिंदगी के कुछ बेहद मुश्किल दौरों से गुजरना पड़ा। जब उनका करियर ऊंचाइयों पर था और वे अपने परिवार के साथ एक खुशहाल जीवन बिता रहे थे, तभी एक दिल दहला देने वाली खबर ने उनकी दुनिया ही बदल दी, उनके महज 3 साल के बेटे को कैंसर होने का पता चला। यह सुनकर उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वर्षों तक इस दर्द को अपने दिल में छुपाए रखने के बाद अब पहली बार इमरान ने उस मुश्किल दौर के बारे में खुलकर बात की है।

इमरान हाशमी हाल ही में एक पॉडकास्ट नज़र आये। इस पॉडकास्ट में कठिन समय के बारे में बात करते हुए, उन्होंने बेटे अयान की बीमारी पर बात की। इमरान ने कहा, जब 2014 में मेरा बेटा बीमार पड़ा, तो वह मेरी ज़िंदगी का सबसे मुश्किल समय था। मैं उस मुश्किल समय को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। हमने 5 साल तक इस मुश्किल समय का सामना किया, लेकिन इस दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा। जनवरी 2014 में मेरा बेटा बीमार पड़ गया। और हमारा परिवार बहुत सदमे में था। उस पल, मेरी ज़िंदगी बदल गई। 13 जनवरी को हम अपने बेटे के साथ ताज होटल में पिज़्ज़ा खा रहे थे। वह मेरी पत्नी, उसकी मां के साथ पेशाब करने गया था। उसने देखा कि उसके पेशाब से खून निकल रहा है। यह कैंसर का पहला संकेत था। फिर, अगले 3 घंटों के भीतर, हम एक डॉक्टर के क्लिनिक में थे और डॉक्टर हमें बता रहे थे कि आपके बेटे को कैंसर है। आपको उसे कल ऑपरेशन के लिए लाना होगा। उसके बाद उसे कीमोथेरेपी से गुजरना होगा। उन 12 घंटों में मेरी पूरी ज़िंदगी बदल गई। हमने उसके कोई लक्षण भी नहीं देखे थे। उस समय वह केवल 3 साल और 11 महीने का था। यह कैंसर 4 साल से कम उम्र के बच्चों में होता है।”

इमरान ने आगे कहा, “जब हमें इस बारे में पता चला तो हम अपने बेटे के सामने रो भी नहीं पाए, क्योंकि हमें उसके मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना था। सिर्फ़ एक दिन ऐसा था जब हमारे परिवार में सभी लोग रोए थे। उसके बाद सभी को उम्मीद थी कि सब ठीक हो जाएगा। इसमें पहले 6 महीने कीमोथैरेपी और फिर कैंसर को दोबारा होने से रोकने के लिए 5 साल का इलाज शामिल था। हमें हर 3 महीने में टेस्ट करवाना पड़ता था। मैंने इस पर एक किताब भी लिखी है। मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मैं सोचता था। मुझे बहुत गुस्सा आता था। एक अभिभावक के तौर पर हम पीछे नहीं रहना चाहते थे। इसलिए मैंने कैंसर के बारे में सब कुछ पढ़ा। जब मैं डॉक्टर से मिलता तो वे भी मुझसे पूछते कि तुम्हें इतना सब कैसे पता है। मैंने उस कैंसर और उसके इलाज के बारे में सब कुछ जान लिया था।”

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