📍 चंडीगढ़, 14 जून (हि.स.) — पंजाब की सियासत में शनिवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता सिकंदर सिंह मलूका की शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में औपचारिक वापसी हो गई। मलूका लंबे समय से पार्टी नेतृत्व, खासकर सुखबीर सिंह बादल से नाराज चल रहे थे और उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था।
🔁 क्या है मामला?
- मलूका बादल सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
- पिछले कुछ वर्षों से पार्टी से नाराज थे और बागी रुख अपनाया हुआ था।
- अकाली दल से निष्कासन के बाद उन्होंने अलग राह पकड़ी थी।
🤝 घर वापसी का औपचारिक ऐलान
- शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने खुद मलूका की वापसी की पुष्टि की।
- कहा: “मलूका ने प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में पार्टी को मजबूत किया। अब उनकी वापसी पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत है।”
- मलूका को लुधियाना पश्चिम उपचुनाव के चुनाव अभियान में अहम भूमिका सौंपी गई है।
🗣️ नेताओं की प्रतिक्रियाएं
- सुखबीर सिंह बादल:
“हम सभी को शिरोमणि अकाली दल को फिर से पंजाब की मजबूत आवाज़ बनाने के लिए एकजुट होना होगा।” - दलजीत सिंह चीमा (पूर्व मंत्री):
“मलूका की वापसी पुराने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम करेगी।” - बलविंद्र सिंह भूंदड़ (पूर्व सांसद):
“यह एक रणनीतिक वापसी है जो उपचुनाव में असर डालेगी।”
📌 राजनीतिक मायने:
- मलूका की वापसी अकाली दल के पुराने वोटबैंक में भरोसा बहाल करने की कोशिश मानी जा रही है।
- लुधियाना पश्चिम उपचुनाव के ठीक पहले यह घटनाक्रम राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
🧠 विश्लेषण:
- सुखबीर बादल के नेतृत्व में बिखरे नेता अब फिर से पार्टी के बैनर तले वापस लौट रहे हैं।
- इससे शिअद को गठबंधन और संगठन स्तर पर मजबूती मिल सकती है।
- कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए यह अलर्ट सिग्नल हो सकता है।