राज्यपाल का संदेश
जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के राष्ट्रीय अधिवेशन में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों को मुनाफा कमाने के बजाय समाज को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने को ध्येय बनाना चाहिए।
उन्होंने ज़ोर दिया कि सहकारी बैंक तभी सफल होंगे जब वे पंक्ति के अंतिम छोर पर बैठे गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को लाभान्वित करेंगे। यही “सबका साथ, सबका विकास” की सच्ची भावना है।
सहकारिता की महत्ता
राज्यपाल ने कहा कि शहरी सहकारी बैंक न केवल देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि लाखों परिवारों की आजीविका का मजबूत आधार भी हैं। उन्होंने डेनमार्क की सहकारिता मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत भी इस सोच से तेज़ी से आगे बढ़ सकता है।
राजस्थान की भूमिका
राज्यपाल बागडे ने राजस्थान में सरस जैसी सहकारी गतिविधियों की सराहना की और कहा कि डेयरी के साथ अन्य उत्पादों का भी सहकारी ढंग से विपणन होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश में अधिक सहकारी बैंक खोले जाएं ताकि सामूहिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिल सके।
ऐतिहासिक संदर्भ
उन्होंने सहकारिता के इतिहास की चर्चा करते हुए बताया कि सबसे पहले सयाजीराव गायकवाड़ ने बड़ौदा में सहकारी कारखाना स्थापित किया था। इसके बाद 1949 में विखे पाटिल और धनंजयराव गाडगिळ ने प्रवरा सहकारी चीनी कारखाना की नींव रखी।