भारत को मिली पेटेंट स्वीकृति, ग्रीनहाउस डिवाइस को मिली मंजूरी
केंद्र सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत पेटेंट कार्यालय ने एक नई ग्रीनहाउस मॉनिटरिंग डिवाइस को आधिकारिक पेटेंट दे दिया है।
अब इसका निर्माण संबंधित निर्माता कंपनी को सौंपा जाएगा।
इनोवेटिव डिज़ाइन से मापी जाएगी गैसें
यह डिवाइस वातावरण में मौजूद ग्रीनहाउस गैसों की निगरानी करने, स्रोतों की पहचान और मात्रा का आकलन करने में सक्षम है।
इसका इस्तेमाल Green House Project और पर्यावरणीय शोधों में होगा।
पश्चिम बंगाल के वैज्ञानिकों की अहम भूमिका
इस परियोजना में 10 वैज्ञानिक शामिल हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल के तीन प्रमुख नाम हैं:
- डॉ. अभिषेक साहा – भूगोल विशेषज्ञ, बांकुड़ा विश्वविद्यालय
- डॉ. जॉर्ज विश्वास – प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी, एक अनुभवी एथलीट
- उत्तरण सातरा – कोल इंडिया के डिप्टी मैनेजर
इनके साथ जुड़े हैं डॉ. मो. वासिम अकातुर, जो ग्रेटा इनोवेशन सेंटर के संस्थापक हैं।
वैज्ञानिक प्रयासों को मिली मान्यता
यह तकनीक Green House Effect पर नजर रखने और climate change से जुड़ी नीतियों को सशक्त करने में मदद करेगी।
वैज्ञानिक समुदाय इसे पर्यावरणीय सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहा है।
ग्रीनहाउस डिवाइस: क्यों है यह अहम?
- क्षेत्रीय स्तर पर गैसों की पहचान
- IoT आधारित रीयल-टाइम डेटा
- नीति निर्माताओं को मिलेगा ठोस डाटा
- Green House Design और उपायों में मिलेगी मदद
निष्कर्ष
What is a greenhouse? – अब सिर्फ परिभाषा नहीं, बल्कि तकनीक से जुड़े समाधान का हिस्सा है।
यह डिवाइस वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों की निगरानी का भारत का नया चेहरा बनेगा।