हरिद्वार, 2 अक्टूबर।
विजयदशमी के अवसर पर श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा में शस्त्र पूजन आयोजित किया गया, जिसमें संतों ने धर्म रक्षा का संकल्प दोहराया। अखाड़े में प्राचीन काल से रखे सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों के साथ आधुनिक हथियारों की भी पूजा मंत्रोच्चारण के साथ की गई।
महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने बताया कि आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने राष्ट्र की रक्षा के लिए शास्त्र और शस्त्र में निपुण संन्यासियों की परंपरा की स्थापना की। इस परंपरा के अनुसार, रमता पंच नागा संन्यासियों ने शस्त्र पूजन किया।
उन्होंने कहा कि संन्यासी शास्त्र और शस्त्र दोनों में निपुण होते हैं और समय आने पर धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने से पीछे नहीं हटते।
पूजन में श्रीमहंत रविन्द्र पुरी, श्रीमहंत विनोद गिरी (हनुमान बाबा), मनोज गिरी, ज्ञान भारती, हरिशंकर गिरी, सूर्य मोहन गिरी, किशुन पुरी, प्रेमपुरी, राजेंद्र भारती, दरोगा, विक्रम गिरी, महंत गंगा गिरी समेत अनेक संत और महंत उपस्थित रहे।
इस अवसर पर संतों ने धर्म, शांति और राष्ट्र सुरक्षा के लिए सदैव सतर्क रहने का संदेश दिया। यह परंपरा महानिर्वाणी अखाड़े की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है।