हिमाचल प्रदेश में भूकंप का खतरा बढ़ा, पूरा राज्य अब उच्चतम जोन-6 में शामिल
हिमाचल प्रदेश के लिए भूकंप से जुड़ी चिंता बढ़ गई है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने नया राष्ट्रीय भूकंप खतरा मानचित्र जारी करते हुए पूरे राज्य को नई निर्मित उच्चतम श्रेणी भूकंप जोन-6 में शामिल कर दिया है। यह पहली बार है जब हिमाचल को एक समान रूप से देश के सबसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र में रखा गया है।
पुराने जोन-4 और जोन-5 का विभाजन खत्म
इसके पहले के मानचित्र में राज्य दो हिस्सों में बंटा था—
- कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर, मंडी, कुल्लू, किन्नौर के हिस्से – जोन-5
- शिमला, सोलन, सिरमौर, बिलासपुर, ऊना, लाहौल-स्पीति – जोन-4
अब यह विभाजन खत्म हो गया है और पूरा हिमाचल समान रूप से सबसे ऊंचे जोखिम वाले जोन-6 में है। यह वैज्ञानिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर बड़ा बदलाव है।
2025 भूकंप डिजाइन कोड के आधार पर नया मानचित्र
बीआईएस ने यह मानचित्र संभाव्य भूकंपीय जोखिम आकलन जैसे उन्नत वैज्ञानिक तरीकों से तैयार किया है। यह मानचित्र तुरंत भवन नियम नहीं बदलता, लेकिन अब—
- राज्य सरकार
- जिला प्रशासन
- तकनीकी विभाग
को अपनी निर्माण संहिताएं, आपदा प्रबंधन योजनाएं और भूमि उपयोग नियम नए जोन-6 के अनुसार संशोधित करने होंगे।
भवन डिजाइन से लेकर पुल-सड़क निर्माण तक असर
विशेषज्ञों के अनुसार नए मानचित्र से—
- भवन डिजाइन
- पुलों व सड़कों की मजबूती
- सार्वजनिक अवसंरचना ऑडिट
- भू-स्खलन व चट्टानी जोखिम
- जिला आपदा प्रबंधन योजना
सब पर कड़े मानक लागू करने की आवश्यकता होगी।
हिमाचल का भूकंपीय इतिहास रहा है संवेदनशील
हिमाचल पहले से ही भूकंप के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है।
- पिछले कई वर्षों से लगातार छोटी तीव्रता के झटके महसूस हो रहे हैं।
- चंबा जिला सबसे ज्यादा बार भूकंप का केंद्र रहा है।
- 1905 के कांगड़ा भूकंप में 10,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
नए मानचित्र से क्या बदलेगा?
अब से—
- सभी निर्माण अनुमति
- भू-वैज्ञानिक रिपोर्ट
- माइक्रोज़ोनेशन स्टडी
- जोखिम विश्लेषण
जोन-6 को आधार मानकर तैयार किए जाएंगे।




