उदयपुर, 14 मार्च (हि.स.)। रंगों के महापर्व होली का आगाज़ गुरुवार देर रात होलिका दहन के साथ हुआ। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धा और उत्साह से होलिका दहन संपन्न हुआ। मंदिरों के बाहर, समाजों के चौराहों और समितियों द्वारा निर्धारित स्थलों पर पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार होलिका प्रज्वलित की गई।
शहर के प्रमुख मंदिरों, कॉलोनियों और चौराहों पर होलिका दहन किया गया। ज्योतिषीय गणना के अनुसार शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित की गई। श्रद्धालुओं ने अग्नि की परिक्रमा कर सुख-समृद्धि की कामना की।
उदयपुर जिले के ग्रामीण अंचल में भी होलिका दहन का उल्लास देखते ही बना। गांवों में ढोल-नगाड़ों के साथ पारंपरिक होली मंगलने की रस्म निभाई गई। बच्चों और युवाओं ने आतिशबाजी कर पर्व का आनंद लिया।
हर साल की तरह इस बार भी समाजों में ‘ढूंढ़’ परंपरा निभाई गई। पिछले वर्ष जन्मे बच्चों को दूल्हा बनाकर होलिका की परिक्रमा कराई गई। समाजों की पुरानी परंपराओं के अनुसार, यह रिवाज सामूहिक जनगणना का हिस्सा रहा है, जिसमें यह दर्शाया जाता है कि समाज में कहां-कहां नयी पीढ़ी ने जन्म लिया है।
इस बार अधिकांश स्थानों पर होलिका की लपटें सीधी उठती नजर आईं, जिसे शुभ संकेत माना जाता है। बुजुर्गों के अनुसार, यह आने वाले समय में संतुलन और समृद्धि का प्रतीक है।
नगर प्रशासन और स्थानीय समितियों ने इस वर्ष पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सूखी लकड़ियों और गोबर के उपलों का उपयोग करने की अपील की।