📍 शिमला, 5 जून (हि.स.) — हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पर्ची शुल्क ₹10 वसूले जाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा थोपा नहीं गया, बल्कि यह अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों (RKS) की ओर से प्रस्तावित किया गया सुझाव है।
🔹 मुख्यमंत्री सुक्खू ने क्या कहा:
- सरकार ने कोई अनिवार्य निर्देश जारी नहीं किए हैं।
- यह पूरी तरह स्वायत्त निर्णय है, जिसे अस्पताल अपनी आवश्यकता और संसाधनों के अनुसार लागू कर सकते हैं।
- जिन अस्पतालों के पास प्रचुर संसाधन हैं, वे शुल्क नहीं भी वसूल सकते।
- यह निर्णय रोगी कल्याण समितियों के विवेक पर छोड़ा गया है, जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।
🔹 शुल्क का उद्देश्य:
- अस्पतालों की स्वच्छता व्यवस्था सुधारना
- बुनियादी ढांचे का रख-रखाव करना
- चिकित्सा उपकरणों की स्थिति को दुरुस्त रखना
🔹 स्वास्थ्य विभाग की अधिसूचना:
स्वास्थ्य विभाग द्वारा पहले जारी अधिसूचना के अनुसार, यह निर्णय OPD सेवाओं में गुणवत्ता सुधार के लिए लिया गया। इसमें कहा गया कि पर्ची शुल्क से मिलने वाली राशि स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती में लगेगी।
🔸 वर्तमान स्थिति:
- आईजीएमसी शिमला और सुपर स्पेशलिटी चमियाना अस्पताल में यह शुल्क लागू हो चुका है।
- राज्य के जिला अस्पतालों और अन्य चिकित्सा संस्थानों में इसे चरणबद्ध तरीके से अपनाया जा रहा है।
➡️ निष्कर्ष: मुख्यमंत्री की सफाई के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि ₹10 OPD पर्ची शुल्क कोई अनिवार्य सरकारी आदेश नहीं है, बल्कि अस्पतालों की जरूरतों और उनकी स्वायत्तता के आधार पर लिया गया निर्णय है।


 
                                    