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हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी, शिमला सहित मैदानों में शुष्क मौसम बरकरार

शिमला, 30 जनवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम ने करवट ली है। किन्नौर, लाहौल-स्पीति, कुल्लू और चंबा जिलों के ऊँचे इलाकों में बीती रात हल्की बर्फबारी दर्ज की गई। मनाली के ऊपरी क्षेत्रों में भी देर रात बर्फ के फाहे गिरे। कुल्लू जिले के कोठी में एक सेंटीमीटर ताजा बर्फबारी दर्ज हुई जबकि लाहौल-स्पीति के कूकुमसेरी और रोहतांग दर्रे में भी बर्फबारी देखने को मिली। हालांकि अटल टनल रोहतांग की तरफ वाहनों की आवाजाही सुचारू रूप से जारी है।

राज्य के अधिकतर हिस्सों में गुरूवार सुबह से मौसम साफ है और खिली धूप ने शीतलहर के प्रभाव को कुछ हद तक कम किया है। राजधानी शिमला और पर्यटन नगरी मनाली में भी सुबह से धूप खिली है। हालांकि मौसम विभाग ने अगले एक सप्ताह तक मौसम खराब रहने का अनुमान जताया है।

पांच फरवरी तक बारिश और बर्फबारी के आसार

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार 1 फरवरी और तीन फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मौसम बिगड़ सकता है। अगले 24 घंटे के भीतर कई स्थानों पर अंधड़ और बिजली चमकने को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। पांच फरवरी तक प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है।

शीतलहर का प्रकोप जारी, तापमान में गिरावट

राज्य में कड़ाके की ठंड का दौर जारी है। लाहौल-स्पीति के ताबो में न्यूनतम तापमान -5.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि कूकुमसेरी में -0.8 डिग्री और किन्नौर के कल्पा में 1 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।

मनाली से ज्यादा ठंडा हुआ शिमला

इस बार विंटर सीजन में राजधानी शिमला पहली बार पर्यटन नगरी मनाली से भी ठंडी रही। बीती रात शिमला का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि मनाली में 5.1 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। अन्य प्रमुख स्थानों की बात करें तो सुंदरनगर में न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री, भुंतर में 5.1 डिग्री, धर्मशाला में 5.2 डिग्री, ऊना में 5.8 डिग्री, नाहन में 7.4 डिग्री, पालमपुर में 5.5 डिग्री, मंडी में 7 डिग्री कांगड़ा में 8.3 डिग्री और बिलासपुर में 7.8 डिग्री सेल्सियस रहा।

सेब के पौधे नहीं खरीद रहे बागवान

प्रदेश में बीते कई दिनों से बारिश और बर्फबारी न होने के कारण किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ती जा रही है। सूखे की स्थिति के कारण सेब की नई पौध लगाने में भी बागवान हिचकिचा रहे हैं। उद्यान विभाग ने इस वर्ष बागवानों को 1.10 लाख सेब के पौधे उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन अब तक सिर्फ 50 फ़ीसदी पौधे ही बिक पाए हैं क्योंकि बागवान बारिश न होने के कारण पौधे लगाने से बच रहे हैं।

हालांकि अन्य प्रकार के पौधों की बिक्री 60 से 70 फीसदी तक हो चुकी है। बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार ऊँचाई वाले इलाकों में फरवरी और मार्च तक पौधे लगाए जा सकते हैं लेकिन निचले इलाकों में इन्हें 15 फरवरी से पहले रोपना जरूरी होता है।

शिमला स्थित मशोबरा की उद्यान विकास अधिकारी प्रिया कपिल ने बताया कि आमतौर पर 20 जनवरी तक नर्सरियों में सभी पौधे बिक जाते थे लेकिन इस बार अब भी बड़ी संख्या में पौधे बिकने के लिए बचे हुए हैं।

वहीं उद्यान विभाग शिमला की उपनिदेशक सुदर्शना नेगी ने कहा कि 15 फरवरी तक सेब के पौधे लगाए जा सकते हैं। अगर तब तक बारिश हो जाती है तो पौधों की बिक्री में तेजी आने की संभावना है।

बागवानों और किसानों की नजरें मौसम पर टिकी

प्रदेश के किसान और बागवान अब सिर्फ आसमान की ओर देख रहे हैं। बारिश और बर्फबारी का इंतजार कर रहे किसानों का कहना है कि अगर जल्द मौसम नहीं बदला तो आने वाले दिनों में खेती और बागवानी पर बुरा असर पड़ सकता है। बारिश-बर्फबारी न होने मैदानी इलाकों में प्रमुख तौर पर गेहूं और पहाड़ी क्षेत्रों में सेब की फसल को नुकसान पहुंच सकता है।

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