Thu, Jun 19, 2025
35 C
Gurgaon

विपरित परिस्थितयां देख भावुक इंस्पेक्टर अरुण ने किया सहयोग, आज योगेन्द्र की आईईएस में आई 39वीं रैंक

लखनऊ, 05 फरवरी (हि.स.)। यदि सच्चे मन से किसी काम को शुरु किया जाय तो राह का कांटा दूर करने के लिए कोई न कोई फरिस्ता सामने आ ही जाता है। ऐसे ही आईईएस में 39वीं रैंक प्राप्त करने वाले प्रतापगढ़ निवासी योगेन्द्र कुमार तिवारी के सामने कांटे आते रहे और उन्हें भगवान के फरिस्ता के रूप में मिले इंस्पेक्टर अरूण राय दूर करते रहे। जब मंगलवार दोपहर बाद आईईएस का फाइनल रिजल्ट आया तो योगेंद्र के परिवार में सभी चहक उठे।

प्रतापगढ़ के नरिया गांव, पोस्ट (ढेकाही) के निवासी योगेन्द्र तिवारी नौ से कक्षा 12 तक के.पी. हिंदू इंटर कालेज से पढ़ाई की है। एमएनआईटी जयपुर से एमटेक करके तैयारी शुरू करने वाले योगेन्द्र बताते है कि पढ़ाई के बीच ही मेरे जीवन में अभाव बहुत आया, समय बिल्कुल विपरीत था। कई बार तो ऐसा लगता था कि जीवन ही कष्टकारी है। वे बताते हैं कि 16 जनवरी 2014 में जब मेरी बारहवीं का बोर्ड परीक्षा थी, तो पिता जी को फालिस मार दिया। वह समय मेरे लिए बहुत कष्ट दाई था। एक महीना इलाहाबाद में इलाज के बाद मैं बोर्ड परीक्षा की तैयारी किया और परीक्षा के तुरंत बाद फिर पिताजी को इलाज के लिए इलाहाबाद में भर्ती कराया। उसके बाद आईआईटी, जेईई मेंस और एडवांस की तैयारी के लिए कानपुर रवाना हुआ। वहां भी बाधाएं आती रही।

उन्होंने बताया कि एक 2015 के यूपीटीयू के परीक्षा में हमें एसपी मेमोरियल कालेज एलाट हुआ। वहां पहले सेमेस्टर में ही मैं कालेज टाप किया। खुशी से जब घर आया तो इसी बीच पिता जी ने हमेशा के लिए गम दे दिये और इहलोक से विदा हो गये। कालेज के प्रबंधक और कुछ अध्यापकों ने मेरी आर्थिक मदद की।

योगेन्द्र तिवारी ने बताया कि इसी दौरान तृतीय वर्ष के सेमेस्टर में मेरी मुलाकात इंस्पेक्टर अरुण राय से बस में हुई और धीरे-धीरे इंस्पेक्टर साहब ने मेरे कठिन जीवन को समझा। इसके बाद अरुण राय ने ही हमें दिल्ली जाकर तैयारी करने के लिए प्रेरित किया। हमारे लिए अर्थ की व्यवस्था की। वहां जाने के बाद भी हमेशा अर्थ का प्रबंध करते रहते थे। बहुत सारे पुलिस विभाग के लोगों से परिचय करवाया और साहस दिया कि किसी चीज की चिंता न करो, प्रभु की कृपा से सब ठीक होगा।

योगेन्द्र तिवारी ने बताया कि पुलिस विभाग से अरुण राय ने अनिल तिवारी, मनोज कुमार उपाध्याय से मिलवाया और इन सभी लोगों का मेरे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। मैं सभी का सदैव आभारी रहूंगा। इसके साथ ही योगेन्द्र ने इस सफलता का श्रेय अपनी माता सुशीला देवी को देते हैं, जो विकट परिस्थितियों में भी हमेशा ढाढंस बधाती रहीं। कभी उन्होंने हिम्मत नहीं हारा, न ही हमें हारने दिया।

उन्होंने बताया कि जून 2022 में एमटेक पूरा करने के बाद मैं जयपुर से पुनः वापस दिल्ली आकर आईईएस की दोबारा से तैयारी शुरू किया और तमाम संघर्षों से लड़ते हुए आज अपनी इच्छा पूरी हुई। अरुण राय वर्तमान में फतेहगढ़ में हैं। अरुण राय पहले भी कई लोगों की इस तरह की मदद कर चुके हैं। वे बताते हैं कि यदि कोई हमारे सहयोग से किसी शिखर पर पहुंच जाता है, तो इससे बड़ा हमारे लिए आनंद का पल नहीं हो सकता। एक-दूसरे का सहयोग करना, जो भी लाचार दिखे, उसको आगे बढ़ाना हर व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए।

Hot this week

Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान, जानिए अब कौन करेगा Tito की देखभाल

 हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने...

गंगा नदी के हालात का आकलन करने के लिए पर्यावरणविदों का विशेष अभियान

कोलकाता, 25 जनवरी (हि.स.)कोलकाता की एक पर्यावरण संस्था ‘मॉर्निंग...
spot_img

Related Articles

Popular Categories