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मौनी अमावस्या : काशी नगरी में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी, दानपुण्य

वाराणसी, 29 जनवरी (हि.स.)। महास्नान पर्व मौनी अमावस्या पर बुधवार को काशीपुराधिपति की नगरी में लाखों श्रद्धालुओं ने सर्वार्थ सिद्धि और त्रिवेणी योग, प्रयागराज के दूसरे अमृत स्नान के दुर्लभ संयोग में पवित्र गंगा नदी में मौन डुबकी लगाई। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गंगाघाटों पर दान पुण्य के बाद काशी पुराधिपति और मां अन्नपूर्णा के दरबार में भी हाजिरी भी लगाई।

महास्नान पर्व पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन के लिए देर रात से ही लम्बी कतारें लगी रही। महापर्व पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए सुदूरवर्ती जिलों के श्रद्धालुओं की भीड़ मंगलवार अपरान्ह से ही गंगातट पर पहुंचने लगी। बाहर से आए श्रद्धालु कैंट रेलवे स्टेशन, रोडवेज के अलावा घाटों के आसपास की बाजारों की बंद दुकानों के चबूतरों व रैन बसेरों में ठहरे। सर्द हवाओं गलन के बीच गंगा तट, आसपास के दुकानों की पटरियों, चितरंजन पार्क दशाश्वमेध में भी श्रद्धालुओं ने पूरी रात भजन कीर्तन कर गुजारी। इसके बाद ब्रह्म मुहुर्त में गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई। दिन चढ़ने के साथ गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। इसके बाद दुर्लभ संयोग शुभ चौघड़िया मुहूर्त पूर्वांह्न में 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट के बीच शहरी श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान के लिए उमड़ पड़ी। महास्नान पर्व पर सबसे ज्यादा भीड़ प्राचीन दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, तुलसी घाट, पचगंगा घाट, रीवा घाट, अस्सी,गाय घाट, राजघाट, भैंसासुर घाट,सामनेघाट पर रही।

महास्नान पर्व को लेकर जिला प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से व्यापक इंतजाम किया था। पर्व पर एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान जहां गंगा में किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद रहे। वहीं दशाश्वमेध से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक आला अफसर फोर्स के साथ लगातार चक्रमण करते रहे।

उधर, मौनी अमावस्या पर्व पर पश्चिम वाहिनी गंगा में स्नान की परंपरा के तहत जिले के चौबेपुर क्षेत्र के बलुआ और कैथी में संगम किनारे मार्कण्डेय महादेव घाट पर भी श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद बाबा को जल चढ़ाया और दर्शन पूजन किया। कैथी के पंचबहिनी स्नान में बनारस और आसपास के जिलों के लाखों लोग पहुंचे थे। रामेश्वर घाट पर भी स्नानार्थियों की भीड़ रही। इसमें ग्रामीण अंचल के श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक रही। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने गंगा स्नान के बाद पीपल वृक्ष की परिक्रमा की, तीर्थ पुरोहितों,भिखारियों को तिल, कंबल, वस्त्र, उड़द आदि अन्न का दान किया। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना भी की।

गौरतलब हो बाबा विश्वनाथ की नगरी में गंगा स्नान, दान का अपना अलग ही महात्म्य है। लेकिन स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर मौन रह पुण्यकाल में मोक्ष दायिनी गंगा में डुबकी लगाने से मान्यता है कि जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। अमावस्या वैसे तो हर महीने में दो बार पड़ती है, लेकिन माघ मास की अमावस्या का सनातन धर्म में अपना खास महात्म्य है। माघ मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इस कारण श्रद्धालु खास प्रयागराज त्रिवेणी संगम के तट पर एक मास तक कुटी बनाकर मायावी दुनिया से अलग होकर रहते हैं और नियमित गंगा स्नान कर भजन कीर्तन करते हैं। मौनी अमावस्या पर मौन रखकर प्रयागराज त्रिवेणी संगम या फिर बाबा की नगरी काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान कर अपने संकल्प के पूरा होने पर घर लौटते है।

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