भारत ने तटरक्षक बल के वैश्विक सम्मेलन में रचनात्मक भूमिका को रेखांकित किया
नई दिल्ली, 12 सितंबर: तटरक्षक बल के चौथे वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुक्रवार को रोम (इटली) में समापन हुआ। इस दो दिवसीय सम्मेलन में 115 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो समुद्री सुरक्षा और तटरक्षक सहयोग के लिए इसे एक प्रमुख वैश्विक मंच बनाता है।
भारत की सक्रिय भागीदारी
भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक परमेश शिवमणि ने दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ सम्मेलन में हिस्सा लिया। उन्होंने अपने संबोधन में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा में भारत की विशेषज्ञता और रचनात्मक भूमिका को रेखांकित किया। शिवमणि ने ‘आग के खिलाफ संरक्षक: अग्नि आपात स्थितियों के लिए आईसीजी की सामरिक प्रतिक्रिया’ शीर्षक से विशेषज्ञ व्याख्यान भी प्रस्तुत किया।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 2027 में होने वाले पांचवें तटरक्षक वैश्विक शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए दावेदारी की इच्छा जताई, जो वैश्विक समुद्री शासन और सुरक्षा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सम्मेलन के प्रमुख बिंदु
- उन्नत तकनीकों, मानव संसाधन विकास और प्रशिक्षण के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों का मुकाबला।
- ‘समुद्र में संरक्षक’ के साझा सिद्धांत के तहत अंतर-क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना।
- समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुभव साझा करना।
वैश्विक सहयोग का महत्व
इस सम्मेलन की शुरुआत 2017 में जापान तटरक्षक बल और निप्पॉन फाउंडेशन ने की थी। तब से यह मंच दुनिया भर के तटरक्षकों के लिए विश्वास निर्माण और अनुभव साझा करने का प्रमुख माध्यम बन गया है।
चौथे संस्करण में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने वर्चुअल माध्यम से समुद्री कानून प्रवर्तन में वैश्विक सहयोग के महत्व पर जोर दिया।