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अमेरिका की इजराइल की नीति का विरोध करने पर भारतीय शोधकर्ता हिरासत में

वाशिंगटन, 20 मार्च (हि.स.)। अमेरिका में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के एक भारतीय शोधकर्ता को संघीय आव्रजन अधिकारियों ने हिरासत में लिया है। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्र वीजा पर अध्ययन और अध्यापन कर रहे बदर खान सूरी को सोमवार रात वर्जीनिया के अर्लिंग्टन के रॉसलिन में उनके घर के बाहर से गिरफ्तार किया गया।

डिजिटल अखबार ‘पॉलिटिको’ की खबर के अनुसार, सूरी पर अमेरिका की इजराइली विदेश नीति का विरोध करने का आरोप लगाया गया है। उनके वकील हसन अहमद ने मुवक्किल की तत्काल रिहाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि अधिकारियों ने खुद को होमलैंड सिक्योरिटी विभाग से संबद्ध बताया। उन्होंने सूरी को बताया कि सरकार ने उनका वीजा रद्द कर दिया है।

वकील अहमद ने याचिका में तर्क दिया कि सूरी को उनकी पत्नी की फिलिस्तीनी विरासत के कारण दंडित किया जा रहा है। सूरी की पत्नी मफेज सालेह अमेरिकी नागरिक हैं। सरकार को संदेह है कि वह और उनकी पत्नी इजराइल के प्रति अमेरिकी विदेश नीति का विरोध करते हैं। साथ ही कुछ वेबसाइटों पर मफेज सालेह के हमास के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया है। वह अल जजीरा के लिए काम कर चुकी हैं।

‘पॉलिटिको’ ने अपनी खबर में भारतीय अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में इस जोड़े के बारे में 2018 में प्रकाशित एक लेख का जिक्र किया है। इस लेख के अनुसार, मफेज सालेह के पिता अहमद यूसुफ हमास के शीर्ष नेतृत्व के वरिष्ठ राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं। उधर, होमलैंड सुरक्षा विभाग की प्रवक्ता ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने पुष्टि की कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शनिवार को एक आदेश जारी किया कि विदेश नीति कारणों से सूरी का वीजा रद्द कर दिया जाना चाहिए।

प्रवक्ता ने एक्स पर लिखा, “सूरी जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एक विदेशी विनिमय छात्र था जो सक्रिय रूप से हमास का प्रचार कर रहा था और सोशल मीडिया पर यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा दे रहा था। सूरी के एक ज्ञात या संदिग्ध आतंकवादी से घनिष्ठ संबंध हैं, जो हमास का वरिष्ठ सलाहकार है।”

इस बीच वकील अहमद ने कहा कि बुधवार शाम तक वह सूरी से संपर्क नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि सूरी का मुकदमा मंगलवार को वर्जीनिया के अलेक्जेंड्रिया में संघीय अदालत में दायर किया गया। पॉलिटिको ने अदालत से सूरी की याचिका की प्रति प्राप्त की है। बुधवार शाम तक सूरी के मामले में किसी न्यायाधीश को नियुक्त नहीं किया गया था और अदालत ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी।

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, सूरी अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिस्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं। यह विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस का हिस्सा है। वह दक्षिण एशिया में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यक अधिकार पर पढ़ा रहे हैं। सूरी ने भारत के एक विश्वविद्यालय से ‘शांति और संघर्ष’ विषय पर पीएचडी की है। इस बारे में एक अन्य भारतीय न्यूज चैनल की खबर में साफ किया गया कि उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रिजोल्यूशन से पीस एंड कान्फलिक्ट स्टडीज में 2020 में पीएचडी पूरी की।

यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता के अनुसार, डॉ. खान सूरी भारतीय नागरिक हैं। उन्हें इराक और अफगानिस्तान में शांति स्थापना पर अपने डॉक्टरेट शोध को जारी रखने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने के लिए विधिवत वीजा दिया गया। हमें उनके किसी अवैध गतिविधि में शामिल होने की जानकारी नहीं है और हमें उनकी हिरासत का कोई कारण नहीं बताया गया है।

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