नई दिल्ली, 4 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों को यह याद रखने की सलाह दी कि तकनीक सिर्फ एक उपकरण है और यह मानवीय मूल्यों का विकल्प नहीं है। डेटा-संचालित प्रणालियां दक्षता बढ़ा सकती हैं, लेकिन वे कभी भी सहानुभूति और अखंडता की जगह नहीं ले सकतीं।
आईआरएस के 78वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भेंट की। इनमें रॉयल भूटान सेवा के दो अधिकारी प्रशिक्षु भी शामिल हैं, वे राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी), नागपुर में प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बदलते समय, बढ़ती अपेक्षाओं और सरकारी पहलों ने अधिक दक्षता, पारदर्शिता और सुविधा के एक नए युग की शुरुआत की है। डिजिटल तकनीक इस बदलाव के मूल में है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि आयकर विभाग उल्लेखनीय सटीकता के साथ विसंगतियों का पता लगाने के लिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करता है और यह सुनिश्चित करता है कि ईमानदार करदाताओं को असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उनकी नीतियों और कार्यों का उद्देश्य सभी का विकास होना चाहिए, खासकर वंचितों और कमजोर वर्गों का।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों का काम शासन और कल्याण के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। उन्होंने जीवंत अर्थव्यवस्था के लिए करों के महत्व पर प्रकाश डाला। भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों के रूप में वे यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे कि इस आवश्यक संसाधन को निष्पक्ष, प्रभावी और पारदर्शी तरीके से एकत्र किया जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा बुनियादी ढांचा बढ़ रहा है, डिजिटल कनेक्टिविटी अंतर को पाट रही है और आर्थिक अवसर पहले से कहीं अधिक सुलभ हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विकास को टिकाऊ और समावेशी बनाने के लिए संसाधनों का प्रबंधन दक्षता और निष्पक्षता के साथ किया जाना चाहिए और नागरिकों को सिस्टम पर भरोसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि वे इस प्रक्रिया की देखरेख करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हर कोई अपनी वैध क्षमता के अनुसार योगदान दे और उसके साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाए।