🌊 18 जनवरी को घाटों पर सजेगा काशी का सांस्कृतिक उत्सव
उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी में स्थित अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय का आठवां वार्षिक समारोह 18 जनवरी को भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर घाटों पर सांस्कृतिक पदयात्रा, संवाद और विमर्श के माध्यम से काशी की बहुआयामी परंपरा को जीवंत किया जाएगा।
📚 बीएचयू में हुई तैयारी बैठक
इस कार्यक्रम को लेकर बुधवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग स्थित ‘विरासत कक्ष’ में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में तय किया गया कि इस वर्ष समारोह का केंद्रीय विषय होगा —
“मोबाइल के दास / घाट के पास”
जिसका उद्देश्य लोगों को मोबाइल की दुनिया से निकालकर प्रकृति और संस्कृति से जोड़ना है।
🚶♂️ रीवां घाट से राजघाट तक होगी पदयात्रा
समारोह का उद्घाटन रीवां घाट से होगा। घाटवॉक यात्रा क्रमशः
क्षेमेश्वर घाट → मणिकर्णिका घाट → रामघाट → राजघाट
तक जाएगी। इस दौरान विभिन्न घाटों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और वैचारिक संवाद भी होंगे।
🏆 चार सामाजिक संस्थाओं को मिलेगा सम्मान
इस वर्ष समारोह में समाजसेवा के लिए निम्न संस्थाओं को सम्मानित किया जाएगा—
- अभ्युदय संस्था
- रोटी बैंक
- होप फाउंडेशन
- नंदिनी फाउंडेशन
🧠 काशी की सांस्कृतिक चेतना को जोड़ने का प्रयास
घाटवॉक के संस्थापक और न्यूरो चिकित्सक प्रो. विजयनाथ मिश्र ने बताया कि देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग इस बार भाग लेंगे। उद्देश्य है कि उन्हें काशी की सांस्कृतिक सम्पन्नता से रू-बरू कराया जाए।
🏛️ घाट काशी की बहुसांस्कृतिक पहचान हैं
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि काशी के घाट ज्ञान, दर्शन और सांस्कृतिक संवाद के केंद्र हैं और यही इस आयोजन की आत्मा है।
👥 बैठक में उपस्थित प्रमुख लोग
रमेश पांडेय, शारदा सिंह, डॉ. विन्ध्याचल यादव, अनूप पांडेय, मनीष खत्री, अवनींद्र सिंह, सत्यम पांडेय, शैलेश तिवारी, गौरव द्विवेदी, विशाल पांडेय, इष्टदेव, वाचस्पति उपाध्याय, अभय तिवारी सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे।




