कश्मीर में बदलेगा मौसम का मिज़ाज, भारी बर्फबारी की संभावना
श्रीनगर। कश्मीर घाटी में लंबे समय से जारी शुष्क मौसम का जल्द ही अंत होने जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार 20 दिसंबर की रात से 22 दिसंबर की सुबह तक घाटी के कई हिस्सों में भारी बर्फबारी और बारिश की संभावना है। यह बदलाव सर्दियों के सबसे कठोर दौर चिल्लई-कलां के आगमन के साथ देखने को मिलेगा।
पश्चिमी विक्षोभ से सक्रिय होगा मौसम
स्थानीय मौसम कार्यालय ने बताया कि 21–22 दिसंबर के दौरान एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर को प्रभावित करेगा। इसके असर से कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में मध्यम से भारी बर्फबारी जबकि मैदानी क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश या बर्फ गिर सकती है।
अधिकारियों के अनुसार, 20 दिसंबर की रात से 22 दिसंबर की सुबह तक बर्फबारी सबसे तीव्र रहने की संभावना है। इस दौरान कई प्रमुख मार्गों और पर्वतीय दर्रों पर यातायात प्रभावित हो सकता है।
ऊंचे दर्रों की यात्रा से बचने की सलाह
प्रशासन ने लोगों को सलाह दी है कि 20 से 22 दिसंबर के बीच पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा से बचें। विशेष रूप से
- ज़ोजिला दर्रा
- साधना टॉप
- सिंथन टॉप
- राजदान दर्रा
और अन्य ऊंचे पर्वतीय इलाकों में इस अवधि के दौरान यात्रा न करने की चेतावनी दी गई है। भारी बर्फबारी और बारिश के कारण भूस्खलन, चट्टान गिरने और फिसलन भरी सड़कों का खतरा बना रह सकता है।
चिल्लई-कलां के साथ बढ़ेगी ठंड
गौरतलब है कि चिल्लई-कलां 21 दिसंबर से शुरू होकर 30 जनवरी तक रहता है, जिसे कश्मीर की सर्दियों का सबसे कठोर 40 दिनों का दौर माना जाता है। इस अवधि में बर्फबारी की संभावना अधिक रहती है और तापमान में तेज गिरावट दर्ज की जाती है।
सूखे मौसम से बढ़ी स्वास्थ्य समस्याएं
इस सर्दी में अब तक कश्मीर में कोई बड़ी बारिश या बर्फबारी नहीं हुई थी। लगातार सूखे मौसम के कारण घाटी में खांसी, जुकाम और श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी गई है। मौसम में यह बदलाव न केवल जल स्रोतों के लिए राहत लाएगा, बल्कि घाटी की पारंपरिक सर्दियों की वापसी भी सुनिश्चित करेगा।




