पश्चिम मिदनापुर, 3 अक्टूबर।
दशहरा पर्व पर खड़गपुर का ऐतिहासिक रावण मैदान गुरुवार रात को 101वें रावण दहन का साक्षी बना। इस बार आयोजन को विशेष रूप देने के लिए विशाल रावण पुतले में पहले शरीर में आग लगाई गई और बाद में रावण के सिर को नीचे उतारकर अलग से जलाया गया। यह दृश्य दर्शकों के लिए आश्चर्यचकित करने वाला और परंपरा का नया रूप साबित हुआ।
भारी बारिश और गरज-चमक के बावजूद मैदान में हजारों लोग जुटे और “जय श्रीराम” के उद्घोष और ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच वातावरण उत्साह से सराबोर रहा।
स्थानीय राजनीतिक दलों ने इसे अलग दृष्टिकोण से देखा। एक पक्ष ने इसे “परंपरा और सुरक्षा के बीच संतुलन का प्रतीक” बताया, जबकि कुछ ने व्यंग्य में कहा कि “जैसे राजनीति में केवल शरीर जलता है और सिर बचा रहता है।” भीड़ में इस पर कानाफूसी और चर्चा भी होती रही।
आयोजन समिति ने विशेष व्यवस्था सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर की। पुलिस और प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए।
स्थानीय लोगों ने कहा कि 101वें वर्ष का यह रावण दहन यादगार रहा। उन्होंने परंपरा के साथ आधुनिकता का संतुलन बनाए जाने की सराहना की। इस वर्ष के समारोह ने यह दिखाया कि कैसे पुराने रीति-रिवाजों को आधुनिक सुरक्षा और आयोजन तकनीक के साथ संगठित किया जा सकता है।
खड़गपुर रावण दहन 2025 ने न केवल धार्मिक उत्सव को नए रूप में प्रस्तुत किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारी बारिश और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी परंपरा का उत्साह कायम रखा जा सकता है।