🔥 हड़ताल या छुट्टी? कोरबा में अजीब तस्वीर
सेवानिवृत्ति लाभ, वेतन विसंगति और 11 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन द्वारा 29 से 31 दिसंबर तक बुलाई गई तीन दिवसीय हड़ताल कोरबा जिले में मज़ाक बनती नजर आई। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने आंदोलन का दावा किया, वे धरना स्थल के बजाय देश-विदेश के पर्यटन स्थलों पर घूमते पाए गए।
🏖️ गोवा, मनाली, नेपाल तक पहुंचे “हड़ताली”
हड़ताल का आवेदन देकर औपचारिकता पूरी करने के बाद कई अधिकारी-कर्मचारी कुल्लू-मनाली, गोवा, ऋषिकेश, केरल, दिल्ली, प्रयागराज, बालाजी मंदिर और नेपाल तक सैर-सपाटे के लिए निकल गए। यह हड़ताल उनके लिए आंदोलन नहीं बल्कि “हॉलिडे पैकेज” बन गई।
🏫 स्कूलों में सन्नाटा, परीक्षाएं प्रभावित
शीतकालीन अवकाश से लौटने वाले शिक्षकों के लिए यह हड़ताल बोनस छुट्टी बन गई। स्कूल खुले तो शिक्षकों की कुर्सियां खाली थीं। परीक्षा नजदीक होने के बावजूद पढ़ाई ठप रही।
🪑 धरना स्थल पर कुर्सियां खाली
धरना स्थल पर गिनती के कुछ पदाधिकारी ही बैठे नजर आए। राजस्व, शिक्षा, आदिवासी विकास, महिला एवं बाल विकास, कृषि, खनिज, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, वन विभाग, पंचायत सहित लगभग सभी विभागों के कर्मचारी “हड़ताल में” बताए गए, लेकिन उनकी मौजूदगी धरना स्थल पर नगण्य रही।
⚠️ संगठन नाराज, कार्रवाई की तैयारी
फेडरेशन के पदाधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जो कर्मचारी हड़ताल का दावा कर सैर-सपाटे पर गए हैं, उनका चिन्हांकन किया जा रहा है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
📢 संघर्ष छुट्टी नहीं होता
संगठन ने साफ किया कि यह आंदोलन सरकार पर दबाव बनाने के लिए है, न कि घूमने-फिरने के लिए। इस तरह की लापरवाही से पूरे आंदोलन की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।




