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त्रियुगीनारायण में भारतीय विवाह संस्कार पर व्याख्यान, ग्रामीणों ने की सराहना

गुप्तकाशी, 20 मार्च (हि.स.)। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के तत्वावधान में भगवान शिव और पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण में “भारतीय विवाह संस्कार की महत्ता व दांपत्य मर्यादा” विषय पर व्याख्यानमाला आयोजित की गई। इस अवसर पर संस्कृत विद्वानों ने विवाह संस्कार की विस्तृत व्याख्या की।

व्याख्यानमाला का उद्घाटन केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की विधायक आशा नौटियाल के प्रतिनिधि विनोद देवशाली और निर्वतमान प्रधान प्रियंका योगी तिवारी ने किया। इस मौके पर मुख्य वक्ता आचार्य सुरेशानंद गौड़ और आचार्य सच्चिदानंद सेमवाल ने विवाह किस प्रकार व कैसे किया जाना चाहिए, के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अन्य वक्ताओं ने कहा कि विवाह संस्कार को विधि विधान से करने पर ही दाम्पत्य जीवन सुखमय व आनंददायक बनता है। उन्हाेंने कहा कि शिव-पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण मंदिर में वैवाहिक बंधन में बंधने को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ रहा है।

इस अवसर पर ग्रामीणों ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित होने चाहिए। कहा कि इस तरह के जानकारीपरक आयोजनों से लोगों में जागरूकता भी बढ़ेगी। कार्यक्रम संयोजक व उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा मनसाराम मैंदुली ने अतिथियों व ग्रामीणों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में डा. हरीश गुरुरानी, सत्यप्रकाश गौड़, नित्यानंद पोखरियाल, टीकाराम जमलोकी, परशुराम, सच्चिदानंद, हरिकृष्ण, अनीता देवी, विश्वेश्वरी देवी के अलावा महिला मंगल दल, युवक मंगल दल सहित अन्य माैजूद रहे।

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