सनातन की धारा में डुबकी लगाकर अपने को धन्य मान रहे श्रद्धालु
महाकुम्भनगर, 28 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज कुंभ अपने पूर्ण यौवन पर है। दूर-दूर तक महाकुंभ नगर बस चुका है। हर तरफ कहीं वेद मंत्र गूंज रहे हैं तो कहीं भक्त जनों के कल्याण के लिए विप्रगण अनुष्ठान कर रहे हैं। विश्व के कल्याण व राष्ट्र रक्षा हेतु लक्षचन्डी सहस्त्र चंडी विष्णु महायज्ञ रुद्र महायज्ञ अनेक प्रकार के यज्ञों की धूम गूंज रही है।
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि महाकुंभ में
कथा सत्संग प्रवचन पग-पग पर हरि नाम संकीर्तन चल रहा है। हर तरफ हर-हर महादेव हर हर गंगे यही नाद गूंज रहा है और यही कुंभ का मूल स्वरूप है ।
उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुंभ के मुख्य यजमान हैं और उनका एक ही लक्ष्य है की हर कोई महाकुंभ पधारे। आज प्रयागराज में चारों तरफ जिधर से भी देखो आस्था का सैलाब फूट रहा है। श्रद्धालु भक्त पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह 15 किलोमीटर पैदल चला कि 20 किलोमीटर चला उसकी दृष्टि केवल त्रिवेणी संगम पर रहती है त्रिवेणी संगम के पावन जल में एक डुबकी लगाते ही वह अपने संपूर्ण जीवन को धन्य मानता है ।
कदम कदम पर श्रद्धालु भक्तजन संस्थाएं स्वयंसेवी सामाजिक अन्न क्षेत्र भंडारे आयोजित कर रही हैं चाय पिलाई जा रही है कोई कुछ बांट रहा है तो कोई कुछ बांट रहा है।
भारत और विश्व का पत्रकार मीडिया जगत एक एक स्वर्णिम पल को अपने कैमरों में कैद कर रहे हैं और यहां से पूरे विश्व को महाकुंभ की इस महानता दिव्यता पवित्रता का दर्शन कर रहे हैं।
तपस्वी नागा संन्यासी अपने-अपने धूने लगाकर रम रहे हैं। अपनी अपनी मस्ती में पूरा विश्व आश्चर्यचकित है। श्रद्धा की इस अभिव्यक्ति को देखते हुए आखिर कुछ तो है। प्रयागराज संगम और महाकुंभ जिसने आज पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर लिया है वह कौन सी अलौकिक सत्ता शक्ति है जिनका विश्वास शासन प्रशासन सभी को है।
यतीन्द्रानन्द गिरि ने कहा कि महाकुंभ में 35 से 40 करोड़ श्रद्धालु आने पर भी वह पराशक्ति संपूर्ण व्यवस्थाएं स्वयं में पूर्ण कर लेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम का परिश्रम तो है किंतु फिर भी कुछ तो अलौकिक है महत्वपूर्ण व्यक्ति जिनको वीवीआईपी कहा जाए हर कोई डुबकी तो लगाना चाहता है। कुछ तो शांत भाव से चुपचाप लगा कर चले गए और कुछ लगा कर जाएंगे और कुछ बात करते भी जा रहे हैं कि हमने डुबकी लगा ली है । अब देश की धारा करवट बदलकर दिशा को भी बदल दिया है।
सब मानते हैं कि हमसे भी बड़ी कोई परम सत्ता है जिसका हम आदर सम्मान करते हुए श्रद्धा से सर झुकाते हुए एक डुबकी श्रद्धा की लगा रहे हैं और यही सनातन की धारा है।