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कांग्रेस ने असम को बना दिया था घुसपैठियों का गढ़, मोदी ने बदली तस्वीर : अतुल बोरा

महाकुम्भनगर, 23 फरवरी (हि.स.)। असम आज कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति से मुक्त होकर विकास की ओर बढ़ रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या पर अब सख्त कदम उठाए जा रहे हैं जिससे असम की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को बचाया जा सके। कांग्रेस की वर्षों की नीतियों ने असम को संकट में डाला था लेकिन अब राज्य आत्मनिर्भरता और सुरक्षा की ओर बढ़ रहा है। असम के लोग अब जागरूक हैं और अपनी संस्कृति, परंपरा और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बातें असमगण परिषद् के अध्यक्ष एवं असम सरकार के कैबिनेट मंत्री अतुल बोरा ने हिन्दुस्थान समाचार से एक विशेष वार्ता के दौरान यह बातें कही।

तीर्थराज प्रयाग आए असम सरकार के कैबिनेट मंत्री अतुल बोरा ने विशेष बातचीत में कहा कि असम में कांग्रेस ने दशकों तक शासन किया और इस दौरान बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने की बजाय उन्हें बढ़ावा दिया। इसका मुख्य कारण था-वोटबैंक की राजनीति। कांग्रेस को यह स्पष्ट रूप से पता था कि यदि ये घुसपैठिए असम में बस जाएंगे तो उन्हें एक नए राजनीतिक समर्थन समूह के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 1979 से 1985 के बीच जब असम के लोगों ने घुसपैठ के खिलाफ आवाज उठाई तो कांग्रेस ने उनका समर्थन करने की बजाय इस आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की। 1985 में असम आंदोलन के बाद असम समझौता किया गया, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे लागू करने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

…जब खतरे में पड़ गई थी असम की पहचान जब असम के मूल निवासियों को यह महसूस हुआ कि उनकी भूमि, संस्कृति और पहचान खतरे में है तो उन्होंने घुसपैठ के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। 1979 से 1985 के बीच चले इस आंदोलन में 160 लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य असम को अवैध घुसपैठ से मुक्त कराना। बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालना। राज्य की सांस्कृतिक पहचान को बचाना था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस आंदोलन को दबाने का प्रयास किया। असम के लोगों की मांगों को लंबे समय तक अनसुना किया गया और असम समझौते को लागू करने में लगातार देरी की गई।

कांग्रेस की नीति से नुकसान, मोदी सरकार की नीति से सुधार 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद स्थिति बदलनी शुरू हुई। केंद्र सरकार ने असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठ को रोकने के लिए कई ठोस कदम उठाए। सीमा सुरक्षा को मजबूत किया गया। कई संवेदनशील इलाकों में सीमा पर बाड़ लगाई गई और अत्याधुनिक उपकरणों से निगरानी बढ़ाई गई। एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) लागू किया गया। इससे यह तय किया गया कि केवल वास्तविक भारतीय नागरिक ही असम में रह सकें। सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लाया गया। इस कानून के तहत उन शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी गई जो धार्मिक प्रताड़ना के शिकार थे, लेकिन अवैध घुसपैठियों को बाहर करने की प्रक्रिया को तेज किया गया।

असम का नया दौर, बढ़ रहे निवेश और रोजगार के अवसर कैबिनेट मंत्री अतुल बोरा ने बताया कि आज असम में पहले की तुलना में शांति का माहौल है। बांग्लादेशी घुसपैठ पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और राज्य में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के निवेशक असम में आ रहे हैं जिससे रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं। पर्यटन में भी उछाल आया है। काजीरंगा और कामाख्या मंदिर जैसे स्थलों पर पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। असम सरकार ने 1.25 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां दी है।

महाकुम्भ में झलक रही ‘अतिथि देवो भव:’ की भावना : अतुल अतुल बोरा ने महाकुम्भ त्रिवेणी संगम स्नान के अवसर पर देशभर से आए श्रद्धालुओं की एकता और आस्था को सराहा। उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने से लोग यहां आए हैं, बल्कि दुनिया भर से भी श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने संगठन को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि ऐसी ही एकता बनी रहे, मेरी यही हमारी कामना है। उन्होंने योगी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि ‘अतिथि देवो भव:’ की भावना यहां स्पष्ट रूप से झलक रही है। सरकार की व्यवस्थाओं और अतिथि-सत्कार के प्रति उन्होंने संतोष जताया और कहा कि इस तरह की पहल समाज में एकजुटता को और मजबूत करेगी।

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