Mon, Oct 20, 2025
22 C
Gurgaon

प्रयागराज में प्रवेश मात्र से कई जन्मों के पाप हो जाते हैं नष्ट : जीयर स्वामी

-श्री लक्ष्मी नारायण का ध्यान करने से जिंदगी की सारी परेशानियों होती हैं दूर : जीयर स्वामी-मानव को तीनों ऋण से मुक्त होना चाहिए- जीयर स्वामी

महाकुम्भ नगर, 06 फरवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ की रसधार बह रही है। श्री त्रिदण्डी स्वामी के श्री जियर स्वामी जी महाराज ने कहा कि जिंदगी में कितनी भी परेशानियां हो श्री लक्ष्मी नारायण भगवान का ध्यान करने से सब समाप्त हो जाता है। जिसका सौभाग्य होगा वो प्रयागराज में लक्ष्मी नारायण यज्ञ में हिस्सा लेगा। पुराणों में बताया गया है कि प्रयागराज में प्रवेश मात्र से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और संगम के त्रिवेणी में अगर स्नान जो कर लिया उसका जीवन धन्य हो गया।

उन्होंने कहा कि मनुष्य को चिंता नहीं चिंतन करनी चाहिए। चिंता से विनाश होता है, जबकि चिंतन से विकास होता है। चिंता ह्रास का कारण बनता है और कोई परिणाम नहीं दे पाता है। श्री जीयर स्वामी ने सुखदेव जी की जन्मोपरांत तप के लिए वन गमन प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि संन्यासी चार प्रकार के होते हैं, कुटीचक, बहुदक, हंस और परमहंस। कुटीचक संयासी गृहस्थ जीवन के अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन के बाद घर में रहते हुए निर्लिप्त रहते हैं। बहुदक भी कुटीचक के समान होते हैं। हंस संन्यासी दुनिया को नश्वर मान दुनिया में रहते हैं। जैसे-कमल, पानी में रहते हुए भी जल के प्रभाव से मुक्त रहता है। परमहंस सन्यासी दुनिया के किसी विषय वस्तु से सरोकार नहीं रखता। बल्कि स्थित प्रज्ञ की स्थिति में रहता है।

उन्होंने कहा कि हर काल में समाज संचालन के नियम-कायदे विभिन्न ऋषियों एवं शासकों द्वारा निर्धारित किए जाते रहे हैं। जैसे मुगलकाल, अंग्रेजी शासन और स्वतंत्रोत्तर भारत के कानून आदि। इसी तरह ऋषियों द्वारा भी त्रेता, सत्युग, द्वापर और कलयुग में नीति निर्धारण किये गये हैं। जिन्हें स्मृति कहते हैं। कलियुग में पराशर स्मृति मान्य है। पराशर स्मृति के अनुसार सभी वर्ण के लोग अपने अनुकूलता के अनुसार जीविकोपार्जन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

स्वामीजी ने कहा कि मनुष्य जन्म के साथ ही तीन ऋणों मातृ-पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण से युक्त होता है। मातृ-पितृ ऋण से उऋण (ऋणमुक्त) होने के लिए माता-पिता की जीवनपर्यन्त सम्यक प्रकार से सेवा और मृत्योपरांत श्राद्ध एवं पिंडदान से मुक्ति मिलती है। यज्ञ, पूजा एवं भंडारा से देव ऋण से मुक्ति मिलती है। जबकि सद्ग्रंथों के नियमित अध्ययन से ऋषि ऋण से व्यक्ति उऋण होता है। तीनों ऋणों से उऋण होने वाला ही पुत्र कहलाने का हकदार है। उन्होंने कहा कि तीनों ऋण से मुक्ति पाने वाला परम धाम को सहज ही प्राप्त कर लेता है।

Archita phukan का वायरल वीडियो लिंक, क्या है नजारा?

असम की सोशल मीडिया सनसनी Archita phukan, उर्फ बेबीडॉल आर्ची, ने ‘डेम अन ग्रर’ पर बोल्ड डांस वीडियो से इंटरनेट पर धूम मचा दी। लेकिन MMS लीक और पॉर्न इंडस्ट्री की अफवाहों ने विवाद खड़ा कर दिया। वीडियो में क्या है नजारा, और क्या है सच?

SGT University में नजीब जंग ने की डिस्टेंस और ऑनलाइन एजुकेशन सेंटर की घोषणा!

SGT यूनिवर्सिटी में नजीब जंग ने सिर्फ प्रेरणा नहीं दी, बल्कि एक नई शिक्षा क्रांति की नींव भी रखी। क्या है इसकी खासियत?

SGT विश्वविद्यालय में रक्तदान शिविर: चरक जयंती पर मानवता की अनमोल मिसाल

SGT विश्वविद्यालय में चरक जयंती पर लगे रक्तदान शिविर ने आयुर्वेद की मूल भावना – सेवा और करुणा – को जीवंत किया।

Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान, जानिए अब कौन करेगा Tito की देखभाल

 हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने...
spot_img

Related Articles

Popular Categories