महापुरुषों का जीवन समाज और आत्मविकास की राह
जबलपुर में आयोजित विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि महापुरुषों का जीवन सिर्फ जाति तक सीमित नहीं होना चाहिए।
विचार गोष्ठी में महत्वपूर्ण संदेश
समरसता सेवा संगठन द्वारा वीर दुर्गादास राठौर, भगवान बलराम और रानी अवंति बाई लोधी की जयंती पर कार्यक्रम हुआ। मुख्य वक्ता चिंतक कवि अनिमेष अटल ने कहा कि अगर हम महापुरुषों का जीवन पढ़ न सकें, तो उनका एक अंश भी आत्मसात कर लें। यही आत्मविकास और समाज सुधार का मार्ग है।
समाज में एकता का आह्वान
संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन ने बताया कि जब हम विश्व कल्याण की कामना करते हैं तो किसी जाति या वर्ग की सीमा नहीं रखते। महापुरुषों का जीवन हमें सर्व समाज की भलाई का संदेश देता है। लेकिन आज हमने उन्हें जाति तक बांध दिया, जिससे समाज में बिखराव हुआ। इसलिए संगठन ने तय किया कि जयंती पूरे समाज के साथ मनाई जाएगी।
सम्मान और पौधारोपण
कार्यक्रम में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों का सम्मान किया गया। साथ ही नर्मदा उद्यान में पौधारोपण भी हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
आत्मविकास और समाज सुधार का सूत्र
वक्ताओं ने दोहराया कि यदि लोग महापुरुषों का जीवन अपनाएं तो समाज और व्यक्ति दोनों का उत्थान निश्चित है। यही विचार गोष्ठी का मुख्य संदेश था।