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मध्‍य प्रदेश में मकर संक्रांति पर शिप्रा-नर्मदा सहित अन्‍य पवित्र घाटों पर उमड़ी भीड़, श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

भोपाल, 14 जनवरी (हि.स.)। देशभर में मंगलवार को मकर संक्रांति के पर्व पर धूम हैं। आस्था और उत्साह का त्यौहार मध्य प्रदेश में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर जगह लोग अपने-अपने अंदाज में मकर संक्रांति को मना रहे हैं।मध्य प्रदेश के उज्‍जैन, दतिया, खंडवा और अनूपपुर सहित प्रदेश के पवित्र घाटों पर कड़ाके की ठंड में भी श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।

मकर संक्रांति पर्व पर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी और शिप्रा नदी के घाटों पर सुबह से श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। उज्जैन में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया और भगवान महाकाल का आशीर्वाद भी ले रहे हैं। महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि भगवान महाकाल को तिल के तेल से स्नान कराने और तिल्ली के पकवानों का भोग लगाया गया। भगवान को गुड़ और शक्कर से बने तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर जलाधारी में भी तिल्ली अर्पित की। इसके साथ ही मंडला, खरगोन, खंडवा, जबलपुर, मंडला और छिंदवाड़ा में भी श्रद्धालु स्नान कर भगवान की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। छिंदवाड़ा के गर्म कुंड में स्नान कर लोगों ने कुंडेश्वर भोलेनाथ की पूजा की। इंदौर के नेहरू स्टेडियम में पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया है। यहां कई लोग पतंगबाजी का आनंद ले रहे हैं।

मकर संक्रांति पर जबलपुर के ग्वारीघाट में भी श्रद्धालु कड़ाके की ठंड के बीच नर्मदा स्नान कर रहे हैं। वहीं, छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर अनहोनी में गर्म पानी के कुंड में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके बाद ज्वाला देवी की पूजा अर्चना की। पिछले कई सालों से यहां मकर संक्रांति मेला आयोजित होता है। टीकमगढ़ जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल शिव धाम कुंडेश्वर में सुबह से ही भक्तों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। श्रद्धालुओं ने जमडार नदी में स्नान कर भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाकर पूजा अर्चना की।

इसके अलावा बालाघाट में वैनगंगा नदी पर लोगों ने डुबकी लगाकर सूर्य को जल अर्पित किया। शहर के महामृत्युंजय घाट, शंकर घाट और बजरंग घाट में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। रायसेन जिले के भोजपुर मंदिर में मेला लगा है। सुबह से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। वहीं, विदिशा जिले में बेतवा नदी के बढ वाले घाट सहित अलग-अलग घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद भगवान के दर्शन कर गुड़ तिल और अन्य सामग्री दान की।

गौरतलब है कि संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर होता है। मकर संक्रांति के पर्व काल पर सामान्यतः चावल, हरी मूंग की दाल की खिचड़ी, पात्र, वस्त्र, भोजन आदि वस्तुओं का दान अलग-अलग ढंग से करने की परंपरा भी है। मान्यता है कि विशेष तौर पर तांबे के कलश में काले तिल भरकर ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा भी मिलती है। वहीं पितरों के निमित तर्पण करने से, गाय को घास खिलाने से और भिक्षु को भोजन दान करने से मानसिक शांति और काम में गति बढ़ती है।

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