मंडी में प्राकृतिक खेती कार्यशाला
मंडी जिले के सुंदरनगर स्थित राजकीय बहुउद्देशीय महाविद्यालय में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो दिवसीय मंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मंडी, कुल्लू, बिलासपुर और लाहौल-स्पीति जिलों के 405 किसान भाग ले रहे हैं।
स्थानीय बीज और आत्मनिर्भरता
कार्यकारी निदेशक डॉ. अतुल डोगरा ने कहा कि स्थानीय बीजों का संरक्षण और आत्मनिर्भरता भविष्य की टिकाऊ खेती की नींव है। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों के महत्व से अवगत कराया।
प्राकृतिक खेती का विज्ञान
डॉ. डोगरा ने बताया कि प्राकृतिक खेती केवल उत्पादन की तकनीक नहीं, बल्कि जीवनशैली का विज्ञान है। यह मिट्टी, किसान और उपभोक्ता तीनों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करती है।
तकनीकी सत्र और विशेषज्ञ मार्गदर्शन
कार्यशाला के पहले दिन मनीषा त्रिपाठी ने नेचुरल फार्मिंग सर्टिफिकेशन सिस्टम पर प्रस्तुति दी और किसानों को प्रमाणन प्रक्रिया, बाज़ार पहचान और राष्ट्रीय स्तर पर नेचुरल ब्रांडिंग की जानकारी दी। इसके अलावा, जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, अग्नास्त्र जैसी जैविक घोलों की तैयारी, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और फसल विविधीकरण पर विशेषज्ञों ने विस्तृत व्याख्यान दिया।
अनुभव साझा और प्रदर्शन
कार्यशाला के दूसरे दिन क्षेत्रीय प्रदर्शन, अनुभव साझा सत्र और विशेषज्ञ संवाद आयोजित होंगे। इससे किसान प्राकृतिक खेती के व्यावहारिक पहलुओं को प्रत्यक्ष रूप से समझ और अपनाने में सक्षम होंगे।




