आतंकवाद पर कड़ा संदेश
नई दिल्ली, 01 सितंबर। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। तियानजिन में आयोजित बैठक के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर दिया कि किसी भी तरह का दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है। यही कारण है कि मोदी का आतंकवाद पर रुख बेहद सख्त दिखाई दिया।
बिना भेदभाव विरोध की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद के हर रूप और रंग का विरोध करना सभी देशों का कर्तव्य है। उन्होंने पहलगाम की हालिया घटना का उल्लेख करते हुए इसे पूरी मानवता पर सीधा हमला बताया। इस कठिन समय में भारत के साथ खड़े देशों के प्रति उन्होंने आभार भी जताया। इस बयान से साफ हुआ कि मोदी का आतंकवाद पर रुख किसी भी नरमी की गुंजाइश नहीं छोड़ता।
सुरक्षा और स्थिरता पर जोर
मोदी ने कहा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता ही किसी देश की प्रगति की नींव हैं। लेकिन आतंकवाद इन लक्ष्यों की सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या खुले तौर पर आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों का रवैया स्वीकार किया जा सकता है। इस संदर्भ में भी मोदी का आतंकवाद पर रुख बेहद स्पष्ट रहा।
भारत की पहल
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने इस वर्ष जॉइंट इनफॉरमेशन ऑपरेशन का नेतृत्व करते हुए आतंकी संगठनों से लड़ने की पहल की है। साथ ही टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ भी कदम उठाए गए हैं। यह दर्शाता है कि मोदी का आतंकवाद पर रुख केवल भाषण तक सीमित नहीं है बल्कि ठोस कार्रवाई में भी नजर आता है।
एससीओ का महत्व
उल्लेखनीय है कि 2001 में गठित एससीओ आज एशिया का प्रमुख राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग मंच है। इस मंच पर मोदी का आतंकवाद पर रुख सभी सदस्य देशों के लिए एक मजबूत संदेश साबित हुआ है।