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मोदी सरकार के आय-व्‍यय को कैसे झुठलाएगी कांग्रेस ? एमएसपी पर पकड़ा गया झूठ

कांग्रेस ने धान और दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि करने की मोदी सरकार की घोषणा के बाद आरोप लगाया कि किसानों के साथ धोखा किया गया। मोदी सरकार एमएसपी पर ‘सी2+50 प्रतिशत’ देने की बात कर रही है। एमएसपी स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित लागत (सी2) प्लस 50 प्रतिशत (लागत और 50 प्रतिशत मुनाफा) फार्मूले से काफी कम है। ‘‘ मोदी सरकार ने किसान और खेती पर घात लगाकर हमला किया है। जुमले का व्यापार है, वादों की घोषणा है, योजनाओं का अंबार है और किसानों में हाहाकार है। उचित समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हो रही है। एमएसपी का मतलब अब ‘मैक्सिमम सफरिंग फॉर प्रोड्यूसर्स’ (उत्पादकों के लिए अधिकतम पीड़ा) है। मोदी सरकार द्वारा खेती की योजनाओं के लिए आवंटित तीन लाख करोड़ रुपये तक खर्च ही नहीं किए गए।

थोड़ी देर के लिए कांग्रेस के जारी प्रेस वक्‍तव्‍य को पढ़कर मान भी लें कि मोदी सरकार ने देश के किसानों के साथ बहुत नाइंसाफी कर रखी है, किंतु क्‍या यह आरोप, तथ्‍यों के आधार पर ठहर पाएगा? क्‍योंकि केंद्र या राज्‍य में सरकार किसी भी दल की रहे, हर दल सत्‍ता में रहते हुए प्रति वर्ष अपना बजट प्रस्‍तुत करता है और समय-समय पर आवश्‍यकतानुसार योजनाओं का निर्माण करने के साथ उन्‍हें लागू करता है। फिर यदि बीच में जैसी जरूरत आन पड़ती है, तो उस के अनुसार अपने नवाचार करता है। स्‍वभाविक है, यह सब करते वक्‍त एक बजट का निर्धारण जो जरूरी है, होता है। उसके अनुसार विस्‍तार से उस विषय का आकलन किया जाता है और फिर पूरी योजना बनाकर कार्य को धरातल पर उतारने के लिए प्रयास शुरू होते हैं।

बस, यहीं कांग्रेस जल्दबाजी में दिखती है। लगता है जैसे उसे बिना सही तथ्‍य जाने ही केंद्र की मोदी सरकार पर अटैक करने की जल्‍दी है। जैसे युद्ध में भ्रम में डालकर उसे जीतने का प्रयास होता है, वैसे ही झूठ की सीढ़‍ियों पर चढ़कर, भ्रम फैलाकर, अत्‍य के आधार पर कांग्रेस किसी भी कीमत पर सत्‍ता में आ जाना चाहती है। इसलिए लगातार देखने में आ रहा है कि वह मोदी सरकार को लेकर हर दिन नए झूठ गढ़ रही है। वस्‍तुत: यहां “न्यूनतम समर्थन मूल्य” (एमएसपी) का मामला भी ऐसा ही नजर आ रहा है। क्‍योंकि केंद्र के आंकड़े जोकि सार्वजनिक भी हैं और कई रिपोर्ट्स में प्रकाशित भी हो चुके हैं। वे दोनों ही सरकारों (मोदी-मनमोहन) के बीच सत्‍ता में रहते हुए किसानों को दी गई एमएसपी पर सभी सच आज बाहर निकाल कर ला चुके हैं।

अब इस ओर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सभी का ध्‍यान आकृष्‍ट किया है और आंकड़ों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन करते हुए स्‍पष्‍ट बताया है कि कैसे कांग्रेस की सरकारें सत्‍ता में रहकर देश के अन्‍नदाताओं के साथ छल करती रहीं। आंकड़ा यह है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत किसानों को 23 लाख करोड़ रुपये दिए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार रही है, जिसने कि अपने 10 साल के कार्यकाल में महज 7 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे। यानी कि मोदी सरकार की मनमोहन सरकार से एमएसपी मुद्दे पर ही तुलना की जाए तो यह साफ हो रहा है कि 16 लाख करोड़ रुपये वर्तमान की भाजपा की सरकार में प्रधानमंत्री मोदी के केंद्र की सत्‍ता में रहते हुए किसानों को दिए हैं।

वास्‍तव में तुलनात्‍मक रूप से यह कोई छोटा आंकड़ा नहीं है। बहुत बड़ा अंतर स्‍पष्‍ट तौर पर दोनों सरकारों के कार्यकाल के दौरान बढ़ा हुआ साफ दिखाई देता है। कोई यह भी तर्क कर सकता है कि पिछले 10 सालों में सिंचाई सुविधाओं में अपार वृद्धि हुई है, संसाधन भी बढ़े हैं, स्‍वभाविक है इसके कारण पैदावार भी बढ़ी है, पहले पैदावार कम रही तो एमएसपी भी कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने कम दी। तब इस प्रश्‍न का उत्‍तर अपने आप सामने आ जाता है कि आखिर जिस अन्‍नदाता की पैदावार अधिक हो और उसे अधिक लाभ खेती के माध्‍यम से हो, जैसा कि मध्‍य प्रदेश में मुख्‍यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान कहा करते थे कि मैं कृषि को लाभ का धंधा बनाकर रहूंगा।

देखा जाए तो बहुत हद तक वे अपने राज्‍य में, अपने शासन के दौरान सफल भी रहे हैं। वैसे ही आज सभी इस प्रकरण को समझ सकते हैं। ज्‍यादा उत्‍पादन होने पर अधि‍क एमएसपी का भुगतान। स्‍वभाविक है, अधिक लाभ भी किसान को ही मिलेगा, सो मिला भी है। तभी तो ये सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि डॉ. मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने केंद्र में रहते हुए तीन गुना से अधिक एमएसपी अपने देश के अन्‍नदाताओं को दी है।

वस्‍तुत: केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज विपक्षी दल पर झूठ बोलने और किसानों को गुमराह करने का आरोप सही लगा रहे हैं। क्‍योंकि जमीन पर भाजपा नीत केंद्र सरकार ने किसानों के लिए हर मोर्चे पर ऐतिहासिक काम किया है, चाहे वह एमएसपी हो या उनकी आय बढ़ाना हो या खेती में नई तकनीक और विविधता लाना हो। मोदी सरकार के कार्यकाल में दलहन, तिलहन और कपास की कीमतों में कई गुना वृद्धि हुई है। दोनों ही सरकार के आंकड़े इस संदर्भ में देखे जा सकते हैं। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान का यह कहना सच ही नजर आता है कि मोदी सरकार एमएसपी सहित किसानों के लिए पारिश्रमिक की पूरी प्रणाली को मजबूत कर रही है।

केंद्र सरकार के आंकड़े और उसके आधार पर केंद्रीय मंत्री चौहान का दावा यही कहता है कि कांग्रेस शासन के दौरान सभी फसलों के लिए एमएसपी लागत से नाममात्र अधिक थी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ऐतिहासिक निर्णय करते हुए 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों की कीमतों में वृद्धि की है, जिससे किसानों की कृषि लागत के ऊपर कम से कम 50 प्रतिशत की वृद्धि सुनिश्चित होगी। फिर कृषि मंत्री ने दिए गए एक उदाहरण से भी इसे समझा जाए तो 2013-14 में धान का एमएसपी 1,310 रुपए प्रति क्विंटल था जो अब 2,369 रुपये है। वर्तमान समय में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, केंद्र ने 2025-26 खरीफ विपणन सत्र के लिए धान के एमएसपी को 3 प्रतिशत (69 रुपये) बढ़ाकर 2,369 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया और दलहन और तिलहन की दरों में 9 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।

सभी फसलों के एमएसपी को देश भर में औसत उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना सुनिश्चित करके बढ़ाया गया है। इसमें भी दृष्‍ट‍ि डालें तो पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड (820 रुपये प्रति क्विंटल) के लिए की गई है, इसके बाद रागी (596 रुपये प्रति क्विंटल), कपास (589 रुपये प्रति क्विंटल) और तिल (579 रुपये प्रति क्विंटल) का स्थान है। यहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का वक्‍तव्‍य भी समझने योग्‍य है, वे कहते हैं कि इस उपाय का उद्देश्य किसानों के लिए लाभकारी रिटर्न सुनिश्चित करना और कृषि समृद्धि के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करना है। “यह वृद्धि न केवल किसानों की आय को बढ़ाएगी और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि ग्रामीण आर्थिक स्थिरता और खाद्य सुरक्षा में भी योगदान देगी।”

वास्‍तव में केंद्र सरकार का एमएसपी बढ़ा देने का निर्णय सुनिश्चित मूल्य समर्थन प्रदान करके कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करेगा और बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशीलता को भी कम करेगा। यह किसानों को आत्मनिर्भर, सशक्त और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की दिशा में आगे बढ़ाया गया कदम है। अब कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक पार्ट‍ियों को स्‍वागत करना चाहिए न कि विरोध ।

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