भगवान बुद्ध के अवशेषों के होंगे सार्वजनिक दर्शन
लखनऊ, 31 अक्टूबर (हि.स.)। सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार की 94वीं वर्षगांठ के अवसर पर भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का विधिवत अनावरण किया जाएगा। यह आयोजन 3 से 5 नवंबर 2025 तक चलेगा, जिसमें बौद्ध श्रद्धालु भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेषों के दर्शन कर सकेंगे।
ऐतिहासिक स्थल पर आस्था का आयोजन
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सारनाथ वही पवित्र भूमि है, जहां भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश — धर्मचक्र प्रवर्तन — दिया था। उन्होंने कहा कि इस वर्ष पिछले वर्षों की तुलना में और अधिक संख्या में बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियों व श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
देश-विदेश से पहुंचेंगे श्रद्धालु
यह आयोजन महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया, सारनाथ केंद्र और वियतनामी बौद्ध संघ के सहयोग से किया जा रहा है। श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, नेपाल सहित कोलकाता, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, लद्दाख और हिमालयी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायी पहुंचेंगे।
बुद्ध अवशेषों की प्राचीन परंपरा
भगवान बुद्ध के अवशेषों को वर्ष में दो बार— बुद्ध पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा पर— दर्शन हेतु रखा जाता है। लगभग 2,600 वर्ष पूर्व महापरिनिर्वाण के बाद उनके अवशेष आठ भागों में विभाजित कर विभिन्न स्तूपों में स्थापित किए गए थे। बाद में सम्राट अशोक ने इन्हें पुनः खोजकर अपने साम्राज्य के विभिन्न स्थलों पर पुनर्स्थापित किया।
दो पवित्र अवशेषों का महत्व
मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि मूलगंध कुटी विहार में भगवान बुद्ध के दो अस्थि अवशेष सुरक्षित हैं — एक गांधार (तक्षशिला) क्षेत्र से प्राप्त, जिसे भारत सरकार ने 1956 में महाबोधि सोसायटी को भेंट किया था, और दूसरा नागार्जुनकोंडा से मिला। दर्शन के बाद दोनों अवशेषों को बुद्ध प्रतिमा के नीचे विधिवत स्थापित किया जाएगा।




