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राजस्थान में ‘नक्शा प्रोजेक्ट’ का शुभारंभ, शहरी भूमि प्रबंधन होगा डिजिटल

जयपुर, 18 फरवरी (हि.स.)। डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन कार्यक्रम के तहत मंगलवार को राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में नक्शा प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया गया। इस परियोजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण द्वारा शहरी भूमि की डिजिटल मैपिंग की जाएगी, जिससे भूमि अभिलेखों को पारदर्शी और डिजिटल रूप से सुलभ बनाया जा सकेगा। राजस्थान सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए भिवाड़ी, किशनगढ़, ब्यावर, सवाई माधोपुर, जैसलमेर, पुष्कर, बगरू, बहरोड़, नवलगढ़ और नाथद्वारा सहित 10 नगरीय निकायों का चयन किया है।

नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि नक्शा परियोजना से शहरी क्षेत्रों में भूमि प्रबंधन को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से संपत्तियों का सटीक सीमांकन संभव होगा, स्वामित्व संबंधी जानकारी डिजिटल रूप से दर्ज होगी और लैंड रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इससे संपत्तियों की खरीद-फरोख्त और स्वामित्व संबंधी विवादों में कमी आएगी। आमजन अपनी संपत्ति की जानकारी एक क्लिक में देख सकेंगे। यह पहल शहरी विकास को गति देने और भूमि विवादों को समाप्त करने में सहायक होगी।

स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने कहा कि नक्शा प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए जनसहयोग आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों से इस प्रोजेक्ट का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने को कहा ताकि आमजन इस नवाचार का अधिकतम लाभ उठा सकें।

गौरतलब है कि इस राष्ट्रीय स्तर की परियोजना का शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मसानी ने किया।

इस परियोजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण से शहरी भूमि की सटीक मैपिंग की जाएगी। 20 नाडिर कैमरों की मदद से उच्च-गुणवत्ता वाले नक्शे तैयार होंगे, जबकि ऑब्लिक एंगल कैमरों से हर कोण से स्पष्ट जानकारी उपलब्ध होगी। लिडार सेंसर तकनीक का उपयोग कर उन्नत 3डी मैपिंग की जाएगी। राज्य सरकार और नागरिक भागीदारी के माध्यम से भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन होगा और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए यह जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी।

नक्शा प्रोजेक्ट से सटीक और ऑनलाइन भूमि रिकॉर्ड उपलब्ध होंगे, जिससे शहरी भूमि प्रबंधन पारदर्शी और प्रभावी होगा। यह पहल भूमि विवादों में कमी लाने और प्रक्रियाओं को तेज करने में मददगार होगी। इसके अलावा, यह आपदा प्रबंधन और शहरी विकास में भी सहायक सिद्ध होगा। परियोजना की जरूरत को स्पष्ट करते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह जमीन के स्वामित्व से जुड़े विवादों और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं को कम करने में मददगार साबित होगा। इसके साथ ही, आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में आ रही रुकावटों को दूर करने और भूमि रिकॉर्ड को पारदर्शी, सटीक और डिजिटल रूप से सभी के लिए उपलब्ध बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगा। राज्य सरकार की यह पहल राजस्थान को डिजिटल भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी और शहरी विकास को नई दिशा देगी।

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