छत्तीसगढ़ और झारखंड को जोड़ने वाला अंबिकापुर-रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग शुरुआती बारिश के बाद अत्यधिक जर्जर हो गया है। सड़क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि वाहन रेंगते हुए चलने को मजबूर हैं। इससे न केवल यात्रा अत्यंत कष्टदायक हो गई है, बल्कि वाहनों की टूटफूट भी बढ़ गई है। अनेक स्थानों पर गड्ढों की मरम्मत के नाम पर केवल औपचारिकताएं निभाई जा रही हैं, जो टिकाऊ नहीं हैं।
इस मार्ग पर सूखे मौसम में उड़ती धूल और बरसात में कीचड़ व पानी से भरे गड्ढे इसकी पहचान बन चुके हैं। स्थानीय नागरिकों में सड़क की बदहाली को लेकर भारी आक्रोश है, जबकि संबंधित विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए हैं। लोगों का कहना है कि अधिकारियों से संपर्क तक नहीं हो पा रहा, जिससे मरम्मत या नवनिर्माण को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही।
पुल भी खतरनाक स्थिति में
रामानुजगंज मार्ग पर स्थित गागर और गेउर नदियों के पुलों की स्थिति भी चिंताजनक है। कई पुलों में सुरक्षा दीवारें नहीं हैं और प्रवेश करते ही वाहन चालक बड़े गड्ढों से जूझते हैं। हल्की सी असावधानी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। बारिश में पुलों के गड्ढों में पानी भरने से जोखिम और बढ़ गया है।
अंतरराज्यीय आवागमन पर खतरा
यह मार्ग अंतरराज्यीय आवाजाही का प्रमुख जरिया है। प्रतिदिन इस मार्ग से 60 से अधिक बसें गुजरती हैं, जिनमें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, भिलाई और कोरबा जैसे शहरों से झारखंड और बिहार जाने वाली बसें शामिल हैं। सड़क की हालत बिगड़ने से इन सेवाओं के बाधित होने की आशंका है। जबकि चार पहिया निजी वाहन वैकल्पिक अंदरूनी मार्गों से गुजरने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं मालवाहक और बसें इसी मार्ग पर निर्भर हैं।
निर्माण में देरी के कारण
लोक निर्माण विभाग के अनुसार, सड़क का ठेका दो वर्ष पहले स्वीकृत हुआ था लेकिन अनुबंध हाल ही में संपन्न हुआ है। ठेका कंपनी का तर्क है कि दो वर्ष पहले की अपेक्षा सड़क की वर्तमान स्थिति बहुत खराब हो चुकी है, जिससे स्वीकृत राशि में नवनिर्माण घाटे का सौदा साबित हो सकता है। कंपनी ने या तो पूर्व स्थिति में सड़क सौंपने या मरम्मत की अतिरिक्त राशि की मांग की है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर शासन स्तर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।