प्राकृतिक चिकित्सा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
हरिद्वार में स्वास्थ्य विषय पर एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।
इस अवसर पर प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य समाधान पर विशेष चर्चा हुई।
ईश्वर भारद्वाज ने रखे विचार
देव संस्कृति विश्वद्यालय के प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने संगोष्ठी को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा ही स्वस्थ रहने का स्थायी विकल्प है।
आधुनिक जीवनशैली बनी चुनौती
प्रो. भारद्वाज ने बढ़ते तनाव और प्रदूषण पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि अनियमित दिनचर्या स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है।
योग और प्राणायाम की भूमिका
उन्होंने योग, प्राणायाम और सनातन चिकित्सा पद्धतियों पर जोर दिया।
इन विधियों को प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य समाधान का आधार बताया गया।
समन्वित चिकित्सा की आवश्यकता
आयोजन सचिव प्रो. लक्ष्मीनारायण जोशी ने समग्र दृष्टिकोण की बात कही।
उन्होंने योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के समन्वय पर बल दिया।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लाभकारी
डॉ. कामाख्या कुमार ने ग्रामीण स्वास्थ्य की समस्या उठाई।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा सस्ती और सुलभ है।
शोध की व्यापक संभावनाएं
डॉ. चर्चित कुमार ने शोधार्थियों को नई दिशाओं से अवगत कराया।
मधुमेह और मानसिक तनाव पर शोध को जरूरी बताया गया।
व्यावहारिक प्रदर्शन भी हुआ
संगोष्ठी में मड थेरेपी और जल चिकित्सा का प्रदर्शन किया गया।
योगासन और प्राणायाम की वैज्ञानिक विधियां भी समझाई गईं।
विशेषज्ञों ने साझा किए निष्कर्ष
विभिन्न सत्रों में आयुर्वेद और पंचकर्म पर शोध प्रस्तुत हुए।
प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य समाधान को प्रभावी बताया गया।
बड़ी संख्या में सहभागिता
देशभर से 250 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
शोध छात्र, योग प्रशिक्षक और शिक्षक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।




