📍 जबलपुर, 14 जून (हि.स.) — नीति आयोग द्वारा भारत-अमेरिका कृषि व्यापार बढ़ाने को लेकर दिए गए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) संबंधी सुझावों के खिलाफ भारतीय किसान संघ (BKS) ने कड़ा विरोध जताया है। संघ का कहना है कि यह सिफारिशें देश की कृषि आत्मनिर्भरता और 70 करोड़ किसानों की आजीविका पर हमला हैं।
🔍 क्या कहा नीति आयोग ने?
नीति आयोग ने हाल ही में एक वर्किंग पेपर में भारत को चावल, मक्का, डेयरी उत्पाद, पोल्ट्री, झींगा, बादाम, पिस्ता, सेब और आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (GM) सोया उत्पाद जैसे अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलने की सिफारिश की है।
🧑🌾 किसानों की कड़ी प्रतिक्रिया
भारतीय किसान संघ के:
- अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल
- अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र
ने संयुक्त रूप से इस प्रस्ताव को “किसान विरोधी और आत्मनिर्भर भारत के खिलाफ” बताया।
“जब देश तिलहन व खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, तब ऐसे में आयात शुल्क में कटौती और GM उत्पादों को लाने की सिफारिशें विरोधाभासी हैं।”
🧬 जीन-संशोधित फसलों पर आपत्ति
- नीति आयोग ने GM मक्का आयात की सिफारिश की है जबकि भारत मक्का और गन्ने से पहले ही इथेनॉल उत्पादन में 18.5% लक्ष्य हासिल कर चुका है।
- किसानों का कहना है कि जब भारत के पास जीएम मुक्त जैविक कृषि का मजबूत मॉडल है, तो विदेशी उत्पादों की कोई जरूरत नहीं है।
📣 BKS की मांगें और चेतावनी
- नीति आयोग को अपने सुझावों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
- सरकार को किसान समर्थक नीति अपनानी चाहिए।
- यदि नीति आयोग को भारत के किसानों की क्षमता पर विश्वास नहीं है, तो उसकी कार्यशैली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
“देश का मेहनतकश किसान बिना जीएम के फसल उत्पादन में आत्मनिर्भर है, लेकिन आयोग अमेरिकी दबाव में दिख रहा है।”
⚖️ निहितार्थ और राजनीतिक संकेत
- यह विवाद आगामी कृषि नीति, एमएसपी, और आत्मनिर्भर भारत अभियान के केंद्र में आ सकता है।
- नीति आयोग की भूमिका पर पुनर्विचार की मांग तेज हो सकती है।
📌 मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- नीति आयोग ने भारत को अमेरिका के कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलने का सुझाव दिया।
- किसान संघ ने इसे देश और किसानों के हितों के खिलाफ बताया।
- GM मक्का और खाद्य तेल आयात पर सख्त आपत्ति।
- सरकार से नीति आयोग की कार्यशैली की समीक्षा की मांग।