नीती-माणा दर्रो से व्यापार की नई उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा ने नीती-माणा दर्रो से भारत-तिब्बत व्यापार शुरू होने की उम्मीदें जगाई हैं। इससे उत्तराखंड के सीमांत जिलों का आर्थिक विकास भी संभावित है।
सीमा पर सहयोग और सुरक्षा
हाल ही में भारत-चीन उच्चस्तरीय वार्ता में विवादित सीमा पर शांति बनाए रखने और सीमाओं को व्यापार के लिए खोलने का निर्णय हुआ। इसके बाद नीती-माणा दर्रो से भी व्यापार शुरू होने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं।
सड़क और कनेक्टिविटी
उत्तराखंड के चमोली जिले में नीती-माणा पास और नीती पास तक सड़क बनकर तैयार हो चुकी है। यह मार्ग व्यापार और कैलाश मानसरोवर यात्रा दोनों के लिए सुविधाजनक होगा। 1962 के भारत-चीन युद्ध से पहले घाटी से घोड़े और खच्चर से माल ले जाया जाता था, लेकिन अब मोटर मार्ग आवश्यक है।
इतिहास और आर्थिक अवसर
2002-03 में अटल बिहारी वाजपेयी की चीन सद्भावना यात्रा के दौरान नाथुला दर्रे से व्यापार शुरू हुआ था। इससे सिक्किम को आर्थिक लाभ मिला। अब नीती-माणा दर्रो से भी भारत-तिब्बत व्यापार उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ सकता है।
वर्तमान स्थिति और उम्मीदें
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद सीमांत जिलों से व्यापार शुरू होने की उम्मीदें थीं, लेकिन गलवान और अन्य घटनाओं के कारण स्थगित रह गईं। अब प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा और विदेश मंत्री स्तर की द्विपक्षीय वार्ता से नीती-माणा दर्रो से व्यापार शुरू होने की नई उम्मीद जगी है।
निष्कर्ष
नीती-माणा दर्रो से व्यापार की शुरुआत उत्तराखंड के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सीमांतवासी और राज्य की निगाहें इस पर टिकी हैं।