📍 लखनऊ, 9 जून (हि.स.)
उत्तर प्रदेश के दस शहरी निकायों में भूमि विवादों को खत्म करने और कर प्रणाली को मजबूत करने के लिए “नक्शा कार्यक्रम” शुरू किया गया है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी ने बताया कि यूपी में शहरों का विस्तार हुआ है, लेकिन पुराने नक्शों को अपडेट नहीं किया गया है।
🗺️ ड्रोन से बनेगा आधुनिक नक्शा:
नए नक्शों को तैयार करने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे सटीक और व्यवस्थित भूमि रिकार्ड तैयार हो सकेंगे। इस कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश को 192 करोड़ रुपये की सहायता दी जा रही है।
🏙️ चयनित 10 शहरी निकाय:
- टांडा (अम्बेडकरनगर)
- नवाबगंज (बाराबंकी)
- अनूपशहर (बुलंदशहर)
- चित्रकूटधाम (चित्रकूट)
- गोरखपुर
- हरदोई
- झांसी
- चुनार (मिर्जापुर)
- पूरनपुर (पीलीभीत)
- तिलहर (शाहजहांपुर)
📊 भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखकर तैयारी:
मनोज जोशी ने कहा कि वर्ष 2031 तक यूपी की 40% जनसंख्या शहरी इलाकों में रहेगी। ऐसे में सटीक और पारदर्शी शहरी भूमि रिकॉर्ड बेहद जरूरी हो गया है। यह नक्शा कार्यक्रम भूमि विवादों को कम करने और राजस्व सुधार में मददगार साबित होगा।
👨💼 प्रशासन की प्राथमिकता:
राजस्व परिषद को तकनीकी रूप से मज़बूत बनाकर लैंड केवाईसी और डिटेल्स को आसान और सटीक बनाया जाएगा। सचिव ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में इस दिशा में अब तक 90% कार्य पूर्ण हो चुका है।
✅ यह पहल डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम और शहरी नक्शा कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही है, जिससे भविष्य के शहरी विकास को व्यवस्थित और विवाद रहित बनाया जा सकेगा।




