🌧️ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में ऑपरेशन मानसून शुरू
हल्द्वानी, 20 जून। बरसात के मौसम में कॉर्बेट नेशनल पार्क में ऑपरेशन मानसून की शुरुआत हो गई है। प्रशासन ने इसे हाई अलर्ट पर रखा है। इस अभियान का मकसद है – शिकारियों की घुसपैठ रोकना और वन्यजीवों की सुरक्षा करना।
🐅 ऑपरेशन मानसून क्या होता है?
हर साल मानसून के दौरान पार्क पर्यटकों के लिए बंद रहता है। इसी समय शिकारियों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। वे बाघ, तेंदुए और हाथियों जैसे जानवरों को निशाना बनाते हैं।
ऐसे में पार्क प्रशासन ऑपरेशन मानसून के तहत विशेष निगरानी और गश्त का संचालन करता है। करीब 250 वनकर्मियों को तैनात किया गया है। यह लोग जंगलों में पैदल गश्त कर रहे हैं।
📡 तकनीक से निगरानी
बरसात में रास्ते टूट जाते हैं। जिससे गश्त में परेशानी आती है। इसलिए अब ड्रोन और थर्मल कैमरों से जंगल पर निगरानी रखी जा रही है।
इसके अलावा, दक्षिणी सीमा पर हर दो किलोमीटर पर एक वन चौकी बनाई गई है। इन चौकियों पर कर्मचारियों के लिए राशन और मेडिकल किट्स पहले से भेज दी गई हैं। इससे उन्हें लंबे समय तक वहीं रुकने में मदद मिलती है।
⛈️ मानसून का भारत में आगमन कब होता है?
भारत में मानसून जून के पहले सप्ताह में केरल से प्रवेश करता है। फिर धीरे-धीरे यह उत्तर भारत की ओर बढ़ता है। भारत में मानसून का प्रवेश कब हुआ था? इस साल मानसून उत्तराखंड में 15 जून के आसपास पहुंचा।
🚨 खास तौर पर संवेदनशील क्षेत्र
कॉर्बेट पार्क की दक्षिणी सीमा से उत्तर प्रदेश के कई इलाके सटे हैं। जैसे कि अमानगढ़, अफजलगढ़, नगीना आदि। इन क्षेत्रों से शिकारियों के आने का खतरा सबसे अधिक रहता है। इसलिए ऑपरेशन मानसून इन इलाकों में ज्यादा सख्ती से लागू किया गया है।
🛡️ सख्त निर्देश और गश्त
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बड़ोला ने बताया कि सभी वनकर्मियों को गश्त के कड़े निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस बार मानसून के दौरान कोई ढिलाई नहीं होगी।
📌 निष्कर्ष
संक्षेप में, ऑपरेशन मानसून केवल एक रूटीन चेक नहीं है। यह वन्यजीवों की रक्षा के लिए एक सख्त और जरूरी कदम है। खासकर तब, जब बरसात के कारण जंगल शांत और संवेदनशील हो जाते हैं।