पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार पर झूठा हलफनामा देने का आरोप
जबलपुर। मध्य प्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार शैलोज़ जोशी पर झूठा हलफनामा देने का गंभीर आरोप लगा है। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पैरामेडिकल काउंसिल द्वारा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में विरोधाभासी शपथपत्र प्रस्तुत करने पर कड़ी नाराजगी जताई है।
विरोधाभासी शपथपत्र का मामला
हाईकोर्ट में 21 जुलाई 2025 को काउंसिल ने कहा था कि सत्र 2023-24 शुरू नहीं हुआ है और बिना मान्यता के प्रवेश नहीं दिए गए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई 2025 को दायर याचिका में बताया गया कि 21,894 छात्र पहले ही सत्र में प्रवेश लेकर पढ़ाई कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता की मांग
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि यह झूठा हलफनामा अदालत को गुमराह करने और न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने के समान है। उन्होंने रजिस्ट्रार के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है।
नियमों का उल्लंघन
एमपी पैरामेडिकल काउंसिल और मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के नियम स्पष्ट हैं कि बिना विश्वविद्यालय की संबद्धता के किसी भी संस्थान में छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जा सकता।
पिछला जुर्माना
अक्टूबर 2022 में भी एक कॉलेज को बिना संबद्धता छात्रों का प्रवेश देने पर कोर्ट ने भारी जुर्माना लगाया था। इस बार भी कोर्ट ने काउंसिल की चुप्पी पर नाराजगी जताई है।
अगली सुनवाई 20 अगस्त को
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को निर्धारित की है और काउंसिल को जवाब देने का अवसर दिया है।