जयपुर, 27 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के नियमितिकरण को निरस्त करने पर खादी ग्रामोद्योग आयोग और कुमारप्पा हैंडमेड पेपर इंस्टिट्यूट पर दो लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को नियमित सेवा में लेने को कहा है। अदालत ने कहा कि यदि तीन माह में आदेश की पालना नहीं की जाती तो संबंधित अधिकारी से यह राशि छह फीसदी ब्याज सहित वसूल की जाएगी। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश इंस्टिट्यूट के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को 1992 में दैनिक वेतनभोगी के तौर पर लगाया गया था। वहीं साल 1994 में उसे बर्खास्त कर दिया। इसके खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए लेबर कोर्ट ने साल 2005 में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया। याचिका में कहा कि उसे नियुक्ति देकर साल 2006 में फिर से बर्खास्त कर दिया। इसके खिलाफ दायर याचिका को लेबर कोर्ट ने भी खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट के दखल के बाद उसे साल 2016 में नियमित किया गया, लेकिन बाद में बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि याचिकाकर्ता की शैक्षणिक योग्यता नियमों के तहत नहीं है। इसलिए उसका नियमितिकरण निरस्त किया जाता है। इस आदेश को याचिकाकर्ता ने फिर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने खादी आयोग पर हर्जाना लगाते हुए याचिकाकर्ता को नियमित करने को कहा है।